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शाहडोल

धान की खड़ी फसल में कीट व कवक का प्रकोप, तीन ब्लॉक में सामने आई समस्या

मौसम में परिवर्तन की वजह से बढ़ रहा कीटों का प्रकोप, मुआवजा दिलाए जाने की मांग

शाहडोलOct 17, 2024 / 12:05 pm

Kamlesh Rajak

मौसम में परिवर्तन की वजह से बढ़ रहा कीटों का प्रकोप, मुआवजा दिलाए जाने की मांग

शहडोल. कीट व कवक किसानों के खेत में खड़ी फसल को चट कर रहे हैं। धान की फसल लगभग-लगभग पक कर तैयार है। ऐसे में कीटों के प्रकोप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। फसल के तनों व बाली के निचले हिस्से में लगने वाले यह कीट व कवक दानों को पूरी तरह से नष्ट कर दे रहे हैं। स्थिति यह है कि जिस खेत में इन कीटों का प्रकोप फैल रहा है उस खेत की 80 फीसदी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान फसल को इन कीटों से बचाने की जुगत में लग गए हैं। साथ ही इसकी जानकारी कृषि विभाग के साथ ही प्रशासन तक भी पहुंचा रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक इन कीटों से बचने के उपाय भी किसानों को बता रहे हैं, लेकिन जब तक किसानों को इसकी जानकारी हो पाती है तब तक यह कीट फसलों को चट कर जा रहे हैं। धान की फसल में कीटों का प्रकोप बढऩे का कारण मौसम में परिवर्तन को माना जा रहा है।
सर्वे कर मुआवजा दिलाए जाने की मांग
जिले में कीटों के प्रकोप से नष्ट हो रही धान की फसल को लेकर किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने बैंक से कर्जा लेकर खेती की थी, अब कीटों के प्रकोप की वजह से उनकी फसल पूरी तरह से चौपट होती जा रही है। स्थिति यह है कि खाने तक के लिए धान नहीं मिलेगी, ऐसे में बैंक का कर्जा कैसे चुकाएंगे। हाल ही में जनपद पंचायत बुढ़ार अंतर्गत खन्नाथ के किसानों ने जिला प्रशासन के समक्ष भी अपनी समस्या रखी थी। किसानों ने मांग की है कि उनकी फसलों का सर्वे कराकर उचित मुआवजा दिलाए जाए।
जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में असर
जानकारी के अनुसार जिले के ब्यौहारी, जयसिंहनगर, गोहपारू और बुढ़ार क्षेत्र के रसमोहनी, टिकुरी, घोघरी, चुहिरी, बराछ, बरकछ, चन्नौड़ी, खन्नाथ सहित आस-पास के क्षेत्र में ब्राउन प्लांट हपर (भूरा फुदका/रसचूसक) कीटों का प्रकोप सबसे ज्यादा फैला हुआ है। इसके अलावा जिले के कई क्षेत्रों में गर्दन तोड़ व स्वार्निंग कटैर मिलर और आर्मी वर्म दो नए किस्म के कीट भी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस तरह से पहुंचा रहे नुकसान
ब्राउन प्लांट हपर कीट धान के तनों में लगता है और फसल के पूरे रस को चूस लेता है। इससे एक सप्ताह के अंदर पूरी फसल सूख जाती है। इसके अलावा कई क्षेत्रों में गर्दन तोड़ बीमारी का प्रकोप भी देखने मिला है। यह बीमाारी कवक के कारण होती है, जो कि धान की बाली के निचले हिस्से वाली गांठ में लगती है और वहां से बाली को तोड़ देती है। जिसके कारण फसलों को नुकसान पहुंचता है।
पौधे को लगाकर बनाएं रास्ता
कृ षि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापति ने बताया कि रस चूसकर बहुत तेजी से फसल को नुकसान पहुंचाते है। इसके नियंत्रण के लिए 1500 पीपीएम वाले एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) का 5 मिली लीटर की दर से हींग मिलाकर सुरक्षात्मक रूप से या कीट प्रारम्भ होते ही छिडक़ाव करें। रासायनिक कीटनाशक का छिडक़ाव करने के पूर्व खेत में बांस की सहायता से निश्चित दूरी में धान के पौधे को लगाकर रास्ता बनाएं ताकि कीटनाशक पौधे के तने पर आसानी से पड़े। ज्यादा प्रकोप होने पर केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र मुरैना द्वारा कोई एक कीटनाशक पाइमेट्रोजीन 50 प्रतिशत डब्ल्यूजी दवा 120 ग्राम प्रति एकड या थायोमिथोक्सोम 25 प्रतिशत दवा 40 ग्राम प्रति एकड़ या बुप्रोफेजिन 25 प्रतिशत एसएल 80 मिली प्रति एकड़ या बुप्रोफेजिन 70 प्रतिशत डीएफ दवा 114 ग्राम प्रति एकड की दर से छिडक़ाव करें।
-लगभग 5 एकड़ में लोन लेकर खेती की है। कीटों के प्रकोप की वजह से 80 फीसदी फसल चौपट हो गई है। स्थिति यह है कि खाने के लिए भी धान नहीं बची है। अब बैंक का कर्ज कैसे चुकाऊंगा। प्रशासन फसल का सर्वे कर मुआवजा दिलाए।
विजय साहू, किसान, टिकुरी
-आस-पास के क्षेत्र में कीटों के प्रकोप से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। खेत में खड़ी धान की फसल पूरी तरह से सूख जा रही है। ऐसे में हम बैंक का कर्ज कैसे चुकाएंगे और परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे।
प्रेमचन्द्र साहू, किसान, टिकुरी
-ब्यौहारी, जयसङ्क्षहनगर व गोहपारू क्षेत्र में ब्राउन प्लांट हपर का प्रकोप ज्यादा है। इसके अलावा गर्दन तोड़ के साथ ही दो नए किस्म के कीट भी ट्रेस हुए हैं। किसान समय पर कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करें इससे इनके असर को कम किया जा सकता है।
डॉ. बृजकिशोर प्रजापति, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल
-कीटों के प्रकोप से जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों की फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। किसान प्रशासन के समक्ष फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा की मांग रखें। मौसम में परिवर्तन की वजह से कीटों का प्रकोप बढ़ा है। यह कीट फसल को 80 फीसदी तक नुकसान पहुंचा रहे हैं।
भानू प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ

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