प्रशासनिक उपेक्षा के कारण दम तोड़ रहा छतवई की हैण्डलूम कला
कभी मलेशिया, कालीकट, चेन्नई सेहत देश के कोने कोने में जाती थी कालीन
Handloom Art of Chhathwai breaking down due to administrative neglect
शहडोल. हस्तशिल्प विभाग द्वारा संभागीय मुख्यालय से 5 किलो मीटर दूर स्थापित लगभग २ करोड़ रुपए की लागत से कालीन बुनाई केन्द्र छतवई प्रशासनिक उपेक्षाओं और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण दम तोड़ रही है। इसकी स्थापना वर्ष 1990-91में कराई गई और यहां की बनी कालीन मध्यप्रदेश की विधानसभा भवन से लेकर कालीकट, नोएड़ा, चेन्नई एम्पोरियम, मृगनयनी एम्पोरियम भोपाल, मलेशिया सहित अन्य प्रदेशों के अलावा बांधवगढ़ उत्सव, अमरकंटक में लगने वाले महाशिवरात्रि मेला और मकर संक्राति पर्व पर बाणगंगा मेला में जहां इनकी ब्रिक्री के लिए स्टाल लगाए जाते रहे, वहीं अब यह संसाधन और बजट और रा मटेरियल के अभाव के कारण धीरे धीरे विलुप्त होने की कगार पर है। इस ओर संभाग के जन प्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अमला भी ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि कालीन बुनाई केन्द्र से जहां आदिवासी महिलाओं के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के संसाधन मुहैया कराए जाते रहे वहीं क्षेत्र के आदिवासियों को शिल्पी तैयार करने का काम किया जाता रहा है।
275 सिल्पी और 50 कुशल कालीन बुनकर-
इस कालीन बुनाई केन्द्र में अब तक स्थानीय गांव लेदरा, बरेली, देवरी, पैलवाह, छतवई, लेदरा, पैलवाह सहित अन्य गांव के लोगों को रोजगार के साथ ही सिल्प कला की कलाएं सिखाई जाती थी। वहीं इसके माध्यम से अब तक लगभग 275 सिल्पी और 50 कुशल कालीन बुनकरों को इस कला में पारंगत किया जा चुका है, लेकिन अब इसका रखरखाव और संसाधन के अभाव के कारण लोगों को रोजगार जहां एक तरफ नहीं मिल पा रहा, वहीं अब कालीन की बुनाई नगण्य हो गई है।
कालीन बुनाई केन्द्र के संचालन के लिए विभाग के अधिकारियों को बजट के लिए पत्र भेजा गया है। मार्च और अप्रैल महीने में 75 दिनों के लिए बैच शुरू किया गया था। बजट और रा मटेरियल मिलने के बाद अगला बैच शुरू किया जाएगा।
एसएस पाण्डेय
प्रभारी प्रबंधक
हस्त शिल्प और कालीन बुनाई केन्द्र
छतवई-शहडोल
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