बाल्मीक गौतम बताते हैं, पहले मेला का आयोजन 30 एकड़ भूमि में होता था, जो अब 8-10 एकड़ में सिमट गया है। पहले मेला आने वालों की संख्या कम होती थी और मेला का आकार बड़ा था, आज जगह कम और मेला आने वालों की संख्या हजारों में पहुंच गई है।
गिरेन्द्र सिंह बरगाही बताते हैं कि राजा राजेन्द्र बहादुर सिंह एवं पूर्व मुख्यमंत्री पंडित शंभूनाथ शुक्ल ने मेला मैदान के लिए 30 एकड़ भूमि कचेर परिवार से ली थी, इसके बदले उन्हें मुआवजा के तौर में छतरपुर में जमीन दी गई थी
बाल्मीक तिवारी बताते हैं कि कई दशकों से बाणगंगा मेंं मेला का आयोजन किया जा रहा है। नगरपालिका व राजस्व विभाग ने ध्यान नहीं दिया और धीरे-धीरे मेला मैदान की जमीन बिकती चली गई। नगरपालिक भूमि को संरक्षित नहीं कर सकी।