आपको बता दें कि, रविवार की सुबह शहडोल मेडिकल कॉलेज के बाहर एक महिला की मौत के बाद शव वाहन न मिलने की वजह से उसके बेटों को मां के शव बाइक पर बांधकर 80 किमी. दूर अपने घर ले जाना पड़ा। वहीं, दूसरी तरफ मृतका के बेटों का कहना है कि, न तो अस्पताल में इलाज मिला और न ही शव वाहन, प्राइवेट शव वाहन वाले 5 हजार रुपए की मांग कर रहे थे, जो उनके पास नहीं थे। इस वजह से मजबूरन उन्हें अपनी मां का शव बाइक पर इस तरह ले जाना पड़ा। इसका एक वीडियो भी सामने आया है। जिस किसी ने भी इन बेटों को मां के शव को बाइक पर बांधकर ले जाते देखा, उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े।
न इलाज मिला न शव वाहन
अनूपपुर के गोडारू गांव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को सीने में तकलीफ होने के कारण परिजन ने जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। जहां जयमंत्री की हालत में सुधार न होने के कारण शनिवार की रात 11 बजे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया। उपचार के दौरान रात 2.40 बजे उसकी मौत हो गई। मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर आरोप लगाते हुए बताया कि, अस्पताल में लापरवाही पूर्वक इलाज किया जा रहा था, जिससे स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था। जब नर्स से मरीज को देखने की बात कही गई तो एक इंजेक्शन और एक बॉटल लगाया तबसे स्वास्थ्य और बिगड़ने लगा। इसके बाद मेडिकल कॉलेज लेकर आए, जहां 2 घंटे बाद मां की मौत हो गई।
बाइक पर बांधकर मां के शव को ले गए बेटे
मृतका के बेटे सुंदर ने बताया कि, मां की मौत के बाद उन्होंने शव वाहन के बारे में पता किया, लेकिन अस्पताल में शव वाहन ही नहीं था। प्राइवेट शव वाहन वालों से बात की तो शव ले जाने के लिए 5 हजार रुपए मांग रहे थे। लेकिन इतने पैसे उनके पास नहीं थे। काफी मन्नतें करने के बाद भी उनमें से किसी का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार हमने फैसला लिया कि, मां का शव बाइक पर रखकर ही ले जाते हैं। एक 100 रुपए का पटिया खरीदा और शव को बांधकर बाइक से 80 किलो मीटर दूर अपने गांव अनूपपुर के कोतमा गोडारू लेकर आए।
मेडिकल कॉलेज में नहीं है शव वाहन
वहीं, सूत्रों की मानें तो मेडिकल कॉलेज में एंम्बुलेंस की सुविधा ही नहीं है, जिसके कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अस्पताल अधीक्षक के अनुसार, मेडिकल कॉलेज में एंम्बुलेंस की सुविधा वर्तमान में नहीं है और न ही शव वाहन है। दो एंम्बुलेंस दी गई हैं जिनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया की जा रही है। रजिस्ट्रेशन के बाद ही मरीजों को सुविधा दी जाएगी।