मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी ने विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी है। हिंदी वैज्ञानिक भाषा है, हिंदी में ज्ञान और विज्ञान का अक्षय भंडार समाया है। डॉ. चतुर्वेदी ने हिंदी वर्णमाला आधारित अपनी व्यंग्य रचना का सस्वर पाठ किया।
उल्लेखनीय है कि डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी भोपाल के दसवें और मॉरीशस के ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन में बतौर प्रतिनिधि हिस्सा ले चुके हैं। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने स्वरचित पुस्तकें महाविद्यालय के लिए भेंट की हैं। छात्रा सोनम अवधिया ने महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का चित्र हिंदी विभाग को भेंट किया। विशेष वक्त वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तपिश ने कहा कि हिंदी हमारा मान है, सम्मान है। मानवीय संवेदना, देश प्रेम, भ्रष्टाचार, गरीबी आदि विषयों पर उन्होंने अपनी रचनाओं का सस्वर पाठ किया। कार्यक्रम संयोजक प्रो. सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि आज 21 वीं सदी के वैश्विक समाज में हिंदी का दबदबा बढ़ता जा रहा है। दुनिया के विभिन्न देशों में बसे प्रवासी साहित्यकार हिंदी को विश्व स्तर पर बढ़ावा दे रहे हैं। दुनिया के 200 से भी अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी विभाग स्थापित हैं और हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है।
प्रो. शेन्डे ने बताया कि 2025 विश्व हिंदी सम्मेलन का स्वर्ण जयंती वर्ष है। 10 जनवरी 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था, तब से आज तक कुल 12 बार विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया गया है। सबसे अधिक भारत और मॉरीशस में तीन-तीन बार विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुए हैं। लंदन और न्यूयॉर्क में भी विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं। वर्ष 2015 में भोपाल में आयोजित दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में अब तक सबसे अधिक 50 देशों के 2000 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए थे। कार्यक्रम में जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष अजय पांडेय, प्राचार्य डॉ. रविशंकर नाग, खेल अधिकारी केसी राउर, डॉ. सविता मसीह, ज्योत्सना नावकर, डॉ. राकेश चौरासे, रितु गुप्ता, नीलम कश्यप, जनभागीदारी शिक्षक उमाशंकर वर्मा, अमितोष सनोडिया, छाया राय, डॉ. दिनेश वर्मा, डॉ संतलाल डहेरिया सहित कॉलेज स्टाफ और एमए हिंदी तथा स्नातक कक्षाओं के छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।06:01 PM