प्यास बुझाने के लिए गंदा पानी पीने को मजबूर श्यामपुर क्षेत्र में दोराहा ग्राम पंचायत में एक सपेरा बस्ती है। इस बस्ती की आबादी करीब 150 की है। यहां पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी के लिए यहां के लोगों को करीब एक किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। ये लोग एक किलोमीटर दूर निकलने वाली नहर से पानी भरकर लाते हैं और दैनिक कार्य के लिए उसका उपयोग करते हैं।
यहां के अशोक कुमार सेन, लखन कुमार सेन आदि ने बताया कि एक अदद हैंडपंप के लिए जनप्रतिनिधियों व अफसरों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन आश्वासन के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं हो सका। ये लोग बताते हैं कि चुनाव में तो राजनैतिक दलों के लोग लंबे चैड़े वादे करते हैं लेकिन चुनाव बीतते ही उनको कुछ भी याद नहीं रहता।
आजाद भारत के इन गांवों में भी अभी तक पानी मयस्सर नहीं आष्टा विकासखंड की सामरी बौंदी पंचायत की आबादी करीब छह हजार है। इस पंचायत में 15 गांव हैं। पंचायत मुख्यालय सामरी बौंदा को छोड़ कवटिया नाला, टीबूपुरा, उमरदड़, नयापुरा, बाटपुरा, सामरी कनीराम, सामरी पीपल, सामरी मउखेड़ा, सामरी गुलाब, सामरी मानसिंह, सामरी भड़कुल, सामरी झंडा, सामरी कनीराम, भगतपुरा में भीषण जल संकट है। पूर्व सरपंच बजे सिंह गरासिया ने बताते कि इन गांवों में नलजल योजना तक नहीं है, जल स्तर नीचे जाने के कारण अधिकांश हैंडपंप बंद हो गए हैं या फिर रुक-रुककर पानी दे रहे हैं। हैंडपंप से जल आपूर्ति नहीं होने पर ग्रामीण एक से डेढ़ किमी दूर खेत पर स्थित कुएं, ट्यूबवेल से पानी लाते हैं।
तो क्या पानी के लिए आंदोलन-चक्काजाम ही एकमात्र विकल्प पानी के संकट से जूझ रहे गांवों में लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। इछावरी तहसील के छापरी ताल्लुका के लोग पेयजल संकट से परेशान थे। अधिकारियों से गुहार लगाकर थक चुके लोगों का गुस्सा सोमवार को सड़क पर उतार दिया। गांववालों के सड़क आकर विरोध प्रदर्शन की सूचना मिलते ही महकमा सक्रिय हो गया। जिला प्रशासन व पीएचई सक्रिय हो गया। आनन फानन में गांव में खराब हैंडपंप ठीक कराए जाने लगे। बोर के लिए जल स्तर की जांच कराई जा रही है। जांच के लिए एक टीम भी बनाई गई है।