सीहोर

वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले खाली हैं जूडो के महारथी के हाथ, अब सरकार से है उम्मीद

पिता टैक्सी ड्राइवर, खुद देख नहीं सकते, हाथ में पैसा नहीं….। 4 नवंबर को अजरबैजान में कैसे खेलेंगे वर्ल्ड चैंपियनशिप…।

सीहोरSep 09, 2022 / 06:07 pm

Manish Gite

कुलदीप सारस्वत

सीहोर। वे देख नहीं सकते…दिव्यांग हैं। फिर भी नूर सुल्तान में जूडो में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपना स्थान पक्का किया है। लेकिन आर्थिक तंगी ऐसी है कि वे 4 नवंबर को यूरोप (अजरबैजान) में होने वाली वर्ल्ड जूडो चैंपियनशिप (world judo championship) में जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं।

 

 

हम बात कर रहे हैं सीहोर के जुडो खिलाड़ी कपिल परमार की। इब्सा सीनियर वर्ल्ड रैंकिंग में भारत के कपिल की 9वीं रैंक है। जिला खेल अधिकारी अरविंद इलियार ने बताया कि ग्रैंड प्रिक्स नूर-सुल्तान में जाने के लिए विभाग से कपिल परमार को 1.34 लाख रुपए दिलाए थे। वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। दो दिन पहले भी उन्हें सीनियर अफसरों से मिलाया था। जिला स्तर पर इस तरह की कोई फंडिंग नहीं होती है। फिर भी हम प्रयास कर रहे हैं।

यदि इब्सा जूडो वर्ल्ड चैंपियनशिप में वे मेडल जीते तो 100 अंक मिलेंगे। ऐसे में यूरोप के अजरबैजान में होने वाली प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए कपिल को 1.52 लाख की दरकार है। उन्होंने मदद के लिए कलेक्टर, एसपी और अन्य अफसरों से गुहार लगा चुके। भरोसा तो मिला, पर मदद नहीं मिली।

वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 32-33 देश के खिलाड़ियों के साथ कपिल भी खेलेंगे। कपिल ने बताया, पिता रामसिंह टैक्सी ड्राइवर हैं। भोपाल-सीहोर रूट पर वे टैक्सी चलाते हैं। बताते हैं, पिता रोज 300 रुपए कमाते हैं, जबकि उसकी डाइट 600 रुपए रोज है। ऐसे में विदेश कैसे जाएं।

 

देख नहीं सकते, लेकिन लक्ष्‍य पर नजर

कपिल दिव्यांग हैं। उनकी आंखों की रोशनी बहुत कम है। इनके पिता टैक्सी चलाते और मां मजदूरी करती है।

जीते कई मेडल

● गोरखपुर में हुई नेशनल में गोल्ड मेडल
● कॉमनवेल्थ इंग्लैड में गोल्ड मेडल
● 9वीं सीनियर नेशनल लखनऊ में गोल्ड
● 10वीं नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
● ग्रैंड प्रिक्स नूर-सुल्तान में गोल्ड

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