2000 वर्ष पुराने यहां का गणेश मंदिर
सीहोर के चिंतामन गणेश मंदिर का इतिहास करीब दो हजार वर्ष पुराना है। माना जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य सीवन नदी से कमल के फूल के रूप में प्रकट हुए थे और भगवान गणेश को रथ में लेकर जा रहे थे। सुबह होते ही रथ जमीन में धंस गया और रथ में रखा कमल का फूल गणेश की मूर्ति के रूप में बदलने लगा। जिसके बाद मूर्ति जमीन में धंसने लगी। बाद में इस स्थान पर मंदिर बनवाया गया। स्थानियों लोगों का कहना है कि आज भी यह प्रतिमा जमीन में आधी धंसी हुई है। राज्यपाल आनंदी बेन ने वहां के लोगों से जाना कि इस मंदिर की मान्यता है कि यहां स्वस्तिक(साथियां) उल्टा बनाने से मनोकामनाएं पूरी होती है बाद में स्वस्तिक को सीधा करना पड़ता है।
सीहोर से जाएंगी उज्जैन
राज्यपाल ने गणेश मंदिर में भगवान गणेश को उनके पसंदीदा व्यंजन लड्डू का भोग लगाया और वहां मौजूद सभी लोगों को प्रसाद का वितरण भी किया। आनंदी बेन के हाथों से प्रसाद लेकर सभी लोग प्रसन्न हुए। आनंदी बेन के कार्यक्रम के अनुसार वे सीहोर दर्शन करने के बाद उज्जैन के लिए प्रस्थान करेंगी। जानकारों का कहना है कि वे उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन कर सकती हैं। साथ ही परिवार और प्रदेश के लिए खुशहाली की कामना कर सकती हैं। जानकारी के अनुसार राज्यपाल आनंदी बेन ने प्रदेश में अपना पदभार महाकाल के दर्शन करने के बाद ही ग्रहण किया था। आनंदी बेन का राज्यपाल से गहरा नाता है। उनके राज्यपाल बनने के बाद वे कई बार उज्जैन जा चुकी हैं।