वाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली हॉर्न के मुताबिक, अमरीका की चिंता, उन कम्पनियों में निवेश को लेकर है, जिनके तार चीन की सेना से जुड़े हैं। बाइडन सरकार भी ऐसी कम्पनियों पर दबाव बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। घटनाक्रम के चलते हांगकांग में शाओमी के शेयर में बुधवार को 6.7 प्रतिशत का उछाल देखा गया। स्मार्टफोन के अलावा रोबोट वैक्यूम क्लीनर, इलेक्ट्रिक बाइक व पहनने वाले उपकरण बनाने वाली कम्पनी शाओमी का कहना है कि वह चीनी सेना से संबद्ध नहीं है। चीनी कम्पनी के लिए यह बड़ी जीत है क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार से लेकर मानवाधिकार एवं हांगकांग के शासन सबंधी मुद्दे पर विवाद होता रहा है।
ट्रंप ने नवम्बर २०२० में एक आदेश जारी किया था, जिसके अनुसार चीनी सेना से जुड़ी कम्पनियों में अमरीकी निवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था। मकसद चीन की कथित गलत व्यापार नीतियों के लिए उस पर दबाव बनाना था। ट्रंप सरकार ने जाते-जाते यह आदेश जारी किया था। इनमें बाइटडांस लिमिटेड, टिकटॉक और वीचैट की मालिकाना हक वाली कम्पनी टैन्सेंट होल्डिंग्स लिमिटेड भी शामिल हैं। हुवावै टैक्नोलॉजी पर सबसे बुरा असर पड़ा है। कम्पनी पर अमरीका से कलपुर्जे खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसके चलते उसे विश्व भर में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बंद करने पड़े। शाओमी पर से भले ही प्रतिबंध हटा दिए गए हों, पर ऐसे संकेत हैं कि बाइडन सरकार भी चीन पर दबाव बनाए रखना चाहती है। इसी सप्ताह बाइडन सरकार ने 2019 का एक आदेश पुन: लागू किया है, जिसमें अमरीकी कम्पनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है कि वे हुवावै जैसी कम्पनियों द्वारा निर्मित उपकरणों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इस बीच, अमरीकी संसद ऐसे द्विदलीय कानून की लगातार बढ़ती जरूरत पर जोर दे रही है जिससे तकनीक और अत्यधिक महत्व के निर्माण क्षेत्र में न केवल अमरीकी की प्रतिद्वंद्विता में सुधार लाया जा सके, बल्कि चीन का डटकर मुकाबला भी किया जा सके।