पहली बार गए थे नील आर्मस्ट्रॉन्ग
नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने 20 जुलाई 1969 को चांद पर पहला कदम रखा। पहला कदम इसलिए क्योंकि ये पहला मौका था जब किसी इंसान ने चांद पर कदम रखा हो। इसके बाद ये सिलसिला आगे बढ़ा और 11 दिसंबर 1972 को अमेरिकी एस्ट्रोनॉट यूजीन सरनैन और हैरिसन जैक स्मिट को चांद की सतह पर उतारा गया। वहीं अब आखिर बार किसी इंसान के चांद पर पांव रखे हुए पूरे 48 साल हो गए हैं। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर उसके बाद क्यों कोई इंसान चांद पर नहीं गया।
इसलिए नहीं गया फिर कोई इंसान
अमेरिका ने आखिरी बार अपोलो 17 मिशन के तहत 11 दिसंबर 1972 को चैलेंजर लैंडर से अमेरिकी एस्ट्रोनॉट यूजीन सरनैन और हैरिसन जैक स्मिट को चांद की सतह पर ‘टॉरस-लिट्रो’ नामक स्थान पर उतारा था। लेकिन इसके बाद किसी इंसान को चांद पर इसलिए नहीं भेजा गया क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर मनुष्य को भेजने का प्रोसेस काफी महंगा पड़ता है। वहीं लॉस एंजेलिस के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर ने कहा कि मनुष्य को चांद पर भेजने में काफी खर्चा आया, लेकिन इसका वैज्ञानिक फायदा कम हुआ।
अब जाएंगी महिला यात्री
अमेरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इंसानी मिशन भेजने का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन भारी भरकम बजट के कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने इस प्रोजेक्ट यानि ‘कॉन्सटेलेशन प्रोग्राम’ को बंद करा दिया था। लेकिन साल 2017 में जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति बने तो उन्होंने नासा को वापस चांद पर एस्ट्रोनॉट भेजने के निर्देश दिए हैं। इसी के चलते अब नासा महिला अंतरिक्षयात्री को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है। मून लैंडिगं की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर नासा की तरफ से गया था कि इस कार्यक्रम का नाम ‘आर्टेमिस’ है, जिसमें महिला अंतरिक्षयात्री को चांद पर भेजने की तैयारी है। उम्मीद है ये मिशन साल 2024 तक पूरा हो जाएगा। हालांकि, कौन महिला अंतरिक्ष में जएगी उनकी अब तक नाम फाइनल नहीं हुआ है।