ये ऐसी तरंगे होती हैं जो धरती के कोर केंद्र और बाहरी परत यानि मेटल के परत के बीच की संरचना से आती हैं। जब भी आतंरिक संरचना में कोई बदलाव होता है तब इन तरंगों से एक तरह की ध्वनि निकलती है। बड़े भूकंप आने पर इनकी आवाज और तेज हो जाती है।
बड़े भूकंप की वजह जानने एवं अन्य चीजों का पता लगाने के लिए अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने खोज की है। उन्होंने प्रशांत महासागर क्षेत्र में साल 1990 से 2018 में आए 7000 भूकंपों के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें कुछ बड़े भूकंप भी शामिल थे। शोध में पाया कि जिसे वे अल्ट्रा लो वेलॉसिटी (ULV) जोन कह रहे हैं उसमें से भूगर्भीय तरंगें धीमी गति से गुजरती हैं। हालांकि इसके बावजूद कई साल तक वैज्ञानिक ये नहीं समझ पाएं कि ये तरंगे आती कहां से हैं। आखिरकार उनकी खोज एक ऐसे मोड़ पर खत्म हुई जहां उन्हें कामयाबी हासिल हुई। शोधकर्ताओं ने सीक्वेंसर नाम के एक मशीन लर्निंग एलगॉरिदम का उपयोग करके तरंगों के बारे में जानने की कोशिश की। इस एलगॉरिदम को जॉन्स हॉपकिंस यूनवर्सिटी और तेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने विकसित किया।
6.5 रिक्टर स्केल या इससे अधिक तेज आने वाले भूकंप में खास तरह की ईको (Echo) वाली तरंगे पैदा होती हैं। जिसका अभी तक पता नहीं चल पाया था। इन्हें शियर वेव्स (Shear waves) कहते हैं और ये जहां बहुत सारे भूकंप एक साथ आते हैं वहां वे एक सी थीं। शोध के प्रमुख लेखक डोयओन किम ने बताया कि उन्हें कोर-मैंटल की सीमा से आने वाले हजारों ईको पर फोकस करने पर पाया गया कि इस सीमा पर बहुत सी ऐसी संरचनाएं हैं जो खास ध्वनि निकालती हैं।
हवाई द्वीपों के नीचे मौजूद ULV जोन को पहले जितना समझा गया था ये उससे कहीं ज्यादा बड़ी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हवाई और मार्केसस द्वीपों के नीचे इतना बड़ा इलाका मिलेगा जिसके बारे में अभी तक सब अनजान थे। यह इलाका कोर और मैंटल के बीच है। ये बहुत ही गर्म और ज्यादा घनत्व वाला क्षेत्र है।