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क्या सचमुच भूत होते हैं? इस पर वैज्ञानिकों ने दिए अपने तर्क

इंसान के डर पर की रिसर्च भ्रम और सच इस पर दी वैज्ञानिकों ने अपनी राय

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जानें भूतों के वजूद के बारे में क्या है, वैज्ञानिकों ने दिए अपने तर्क

नई दिल्ली। सभी ने भूतों की कहानियां अपनी दादी, नानी से सुनी होंगी, लेकिन जब हम बड़े होते हैं तो इन बातों पर कम यकीन करने लगते हैं। मगर जब हमारे साथ कोई घटना होती है, तो हमें किसी अदृश्य शक्ति का आभास होने लगता है। भूत-प्रेतों का जिक्र हमारी धार्मिक पुस्तकों में आता है। क्या साइंस ( science ) इनके वजूद पर रोशनी डालती है, वैज्ञानिक इन पैरानॉर्मल एक्टिविटी ( paranormal activity ) पर क्या राय रखते हैं, उसके बारे में जानते हैं।

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भूतों का विषय बेहद रोमांचक और डरावना रहा है। हर कोई इनके बारे में जानने की दिलचस्पी रखता है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में भूतों को लेकर कई तरह की बातें सामने आती हैं। यहां तक कि इन विषयों पर बॉलवीवुड (bollywood ), हॉलीवुड ( Hollywood ) समेत दुनियाभर में कई फिल्में बन चुकीं हैं। आइए जानने की कोशिश करें कि क्या सच में भूत होते भी हैं?

बता दें कि इस बारें में वैज्ञानिकों (पैरासाइकोलॉजी ) ने इंसान में पैदा हो रहे डर का जवाब खोजने के लिए अध्ययन किया। बकिंघमशायर न्यू यूनिवर्सिटी ( university ) में मनोविज्ञान विभाग ( Department of Psychology )
के प्रमुख डॉ. कायरन ओकीफ ने तर्क देते हुए कहा कि, "पैरासाइकोलॉजिस्ट रिसर्च में मुख्य रूप से तीन तरह के शोध शामिल हैं। पहला है, विचित्र किस्म का आभास। इसमें टेलिपैथी, पहले से आभास होना जैसी चीजें आती हैं। दूसरा है, मस्तिष्क के जरिए कोई काम करना, जैसे बिना छुए चम्मच को मोड़ देना। तीसरा है, मृत्यु के बाद का संवाद, जैसे भूत प्रेत या आत्माओं से बात करना।"

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दरअसल, असामान्य परिरस्थितियों में कई बार हमारी आंखें अलग ढंग से व्यवहार करती हैं। कम रोशनी में आंखों की रेटीनल रॉड कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं और हल्का मुड़ा हुआ-सा नजारा दिखाती हैं। डॉक्टर ओकीफ के मुताबिक, "आंख की पुतली को बेहद कोने में पहुंचाकर अगर हम आखिरी छोर से कोई मूवमेंट देखें तो वह बहुत साफ नहीं दिखता है। डिटेल भी नजर नहीं आती है।

सिर्फ काला और सफेद ही दिखता है। इसका मतलब साफ है कि रॉड कोशिकाएं रंग नहीं देख पा रही हैं। हो सकता है कि ऐसी परिस्थितियों में हमारा मस्तिष्क सूचना के अभाव को भरने की कोशिश करता हो। दिमाग उस सूचना को किसी तार्किक जानकारी में बदलने की कोशिश करता है। हमें ऐसा लगने लगता है जैसे हमने कुछ विचित्र देखा है।

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तर्क के आधार पर हमें लगता है कि शायद कोई भूत है।"किसी चीज को बिना छुए उसमें हलचल कर देना या फिर पूर्वाभास व टेलिपैथी जैसे वाकये अब भी विज्ञान जगत को हैरान कर रहे हैं। ओकीफ जानते हैं कि मस्तिष्क की कुछ विलक्षण शक्तियां अब भी विज्ञान के दायरे से कोसों दूर हैं।