मुश्किल लगता है राधा मोहन सिंह का दोबारा कृषि मंत्री बनना, नए मंत्री के लिए भी रहेगी चुनौती
राधा मोहन ने अपने कार्यकाल में सही से नहीं संभाला अपना पद
आय व अन्य योजनाओं के लिए किसानों ने किए प्रदर्शन
क्या अब भी बीजेपी चुनेगी कृषि मंत्री राधा मोहन को
मुश्किल लगता है राधा मोहन सिंह का दोबारा कृषि मंत्री बनना, नए मंत्री के लिए भी रहेगी चुनौती
नई दिल्ली। 2014 में भाजपा सरकार ने कृषि मंत्रालय (agriculture department) का पद राधा मोहन को सौंपा था। लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान राधा मोहन ने कृषि से संबंधित कार्यों को बेहतर तरीके से नहीं किया। जिस तरह से किसान उनसे उम्मीद लगाए बैठे थे, उन्हें वो पूरा नहीं कर पाये। भाजपा सरकार ने किसानों से वादा किया था कि बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति को ठीक कर देंगे और उनका हक दिलाएंगे, लेकिन इसका बिल्कुल उलट हुआ। किसानों को अपनी आय और हक के लिए प्रदर्शन करना पड़ा। मगर अब 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सरकार की जीत से किसानों की उम्मीदें दोबारा बढ़ी है। किसानों का मानना है कि बीजेपी सरकार शायद अब कृषि मंत्रालय के लिए किसी और को चुनेगी। अब सवाल यह उठता है कि पिछले कार्यकाल में राधा मोहन सिंह कृषि मंत्री थे और इस विभाग की नाकामी के कारण केंद्र सरकार (center goverment ) की कई बार आलोचना भी हुई थी। एेसे में क्या अब बीजेपी दोबारा कृषि मंत्रालय राधा मोहन को सौैंपेगी या कोई ओर इस पद का उम्मीदवार बनेगा?
बता दें कि भाजपा ने 5 साल के कार्यकाल में किसानों के लिए बहुत से वादे किए और संसद के बजट सत्र में सरकार ने भारी भरकम बजट भी पेश किया, लेकिन बावजूद इसके धरातल पर किसानों के हालात में ज्यादा कोई असर नहीं पड़ा। मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने का वादा किया था। जिसको वो पूरा नहीं कर पाईं।
किसानों की आय दोगुना करना केन्द्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा था, जिसके लिए राष्ट्रीय वर्षा क्षेत्र प्राधिकरण के मुख्य अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। जिसका मोदी सरकार की ओर से कई चुनावी भाषणों में उल्लेख भी किया, लेकिन इसका जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं देखा गया ।
केन्द्र सरकार ने किसानों के लिए कई बड़ी योजनाएं पेश की। यह योजनाएं कारगर साबित नहीं हो पाईं। 1.प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना मोदी सरकार ने इस योजना को 1 जुलाई 2015 में 50 करोड़ के खर्च के साथ इस योजना को लॉन्च किया गया। इस योजना में किसान के हर खेत तक पानी पहुंचाना व पानी की पूर्ती को बढ़ाना था। जिस पर काम न होने के चलते यह योजना फ्लॉप हो गई 2. न्यूनतम समर्थन मूल्य केन्द्र सरकार का वादा 2017 के बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर किसानों की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना किया जाना था। इस योजना में खरीद प्रणालियों में गड़बड़ी के चलते योजना का किसानों को खासा लाभ नहीं मिल पाया ।
3.2019 में बीजेपी सरकार ने किसान वर्ग को ध्यान में रखते हुए लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना लॉन्च कीं। इस योजना को 1 फरवरी 2019 में पेश किया। योजना में 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले छोटी जाति के किसानों के परिवारों को 6000 रुपये प्रति वर्ष की सहायता उपलब्ध कराई गई। जिससे सरकार बनने पर किसानों ने भी समर्थन दिया। इस उम्मीद से की सरकार अब किसानों की आय पर बेहतर काम करेंगी और किसानों के लए लाभकारी योजनाओं को पारित करेंगी ।
4.भाजपा सरकार में राधा मोहन कृषिमंत्री के पद पर नियुक्त है।सरकार के 5 साल के कार्यकाल में किसानों की अधिकतर योजनाएं विफल रहीं हैं। वर्ष 2018 में देश् भर के कई राज्यों के किसानों ने अपनी विभिन्न मांगो को लेकर किसान क्रांती यात्रा उत्तराखंण्ड से दिल्ली तक निकाली थी। इसमें किसानों ने सरकार के खिलाफ आन्दोलन चालाया था, लेकिन केन्द्र सरकार किसानों की मांगो पर केवल आश्वासन देती रही। 18 सूत्रीय मांग पत्र में केवल तीन मांगे ही मंजूर हो पाईं थी। इसके बाद से किसान प्रधानमंत्री गृहमंत्री और कृर्षि मंत्री से कारगर योजनाओं की उम्मीद लगाए बैठे है ।