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विज्ञान और टेक्नोलॉजी

बच्चों को लेकर माता-पिता की बढ़ सकती है चिंता, अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

केवल वयस्क में नहीं बल्कि बच्चों में भी पाया जाता है एनीमिया
0-15 साल के 53 फीसदी बच्चे और किशोर एनिमिया से हैं ग्रस्त
दुनिया भर में दो अरब लोग एनिमिया से हैं ग्रस्त

Apr 08, 2019 / 04:26 pm

Priya Singh

More cases of moderate anemia were found in children

बच्चों को लेकर माता-पिता की बढ़ सकती है चिंता, अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली। एनीमिया हालांकि एक ऐसा विषय है जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन हाल ही में एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा किए गए इन-हाउस सर्वेक्षण के आधार पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पाया गया है कि एनिमिया न केवल वयस्कों में बल्कि बच्चों में भी आमतौर पर पाया जाता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि उम्र के साथ एनीमिया ( anemia ) की संभावना बढ़ती है। सर्वेक्षण के परिणाम जनवरी 2016 से मार्च 2019 के बीच देश भर की एसआरएल लैबोरेटरीज में हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) जांचों की रिपोर्ट्स पर आधारित है।

moderate anemia were found in children

एसआरएल की रिपोर्ट के अनुसार, 80 साल से अधिक उम्र के 91 फीसदी लोग, 61 से 85 साल से 81 फीसदी लोग, 46 से 60 साल से 69 फीसदी लोग, 31 से 45 साल के 59 फीसदी लोग, 16 से 30 साल के 57 फीसदी लोग तथा 0-15 साल के 53 फीसदी बच्चे और किशोर एनीमिया से ग्रस्त हैं। 45 साल से अधिक उम्र के मरीजों में एनिमिया के सबसे गंभीर मामले पाए गए हैं

moderate anemia

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के आर एंड डी एंड मॉलीक्युलर पैथोलोजी के अडवाइजर एवं मेंटर डॉ बी.आर. दास ने कहा, “शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं या Hemoglobin की कम मात्रा होने पर शरीर के ओर्गेन सिस्टम को स्थायी नुकसान पहुंचता है। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से शरीर में खून के जरिए ऑक्सीजन का प्रवाह कम मात्रा में हो पाता है जिससे मरीज में कई लक्षण नजर आते हैं जैसे थकान, त्वचा का पीला पड़ना, सिर में दर्द, दिल की धड़कनों का अनियमित होना और सांस फूलना। अन्य लक्षणों में शामिल हैं मूड में बदलाव और चिड़चिड़ापन, कमजोरी।

anemia were found in children

Anemia का सबसे आम कारण है आयरन की कमी, जिसका इलाज करना आसान है। ज्यादातर बीमारियों के मामले में जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण होती है।” विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में दो अरब लोग एनीमिया से ग्रस्त हैं और इनमें से आधे मामलों का कारण आयरन की कमी ही होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एनीमिया को तीन स्तरों में श्रेणीबद्ध किया है: माइल्ड (हल्का), मॉडरेट (मध्यम) और सीवियर (गंभीर)। अध्ययन में लिए सैम्पल्स के अनुसार भारत के अन्य जोनों (64 फीसदी) की तुलना में उत्तरी जोन में एनिमिया के सबसे ज्यादा (69 फीसदी) मरीज पाए गए हैं। गंभीर एनीमिया के मामले उत्तरी जोन (6 फीसदी) में महिलाओं (2 फीसदी) की तुलना में पुरुषों (9 फीसदी) में अधिक पाए गए। शेष क्षेत्रों में से 34 फीसदी लोगों में मध्यम एनीमिया पाया गया, जिसमें पुरुषों में 35 फीसदी और महिलाओं में 26 फीसदी मामले पाए गए। पूर्वी जोन में माइल्ड एनीमिया के अधिक मामले पाए गए जबकि पुरुषों और महिलाओं में परिणामों में कुछ खास अंतर नहीं पाया गया।

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