साल 2018 के पहले माह से बात शुरू करें तो 10 जनवरी को प्रख्यात वैज्ञानिक के. सिवन के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कमान संभालने के साथ भारत ने 12 जनवरी को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी 40) के जरिए 28 विदेशी उपग्रहों के साथ 31 उपग्रहों का प्रक्षेपण और उन्हें सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया।
सिवन ने इसरो की 2018 की उपलब्धियां साझा करते हुए कहा, “कई रॉकेट और उपग्रहों के प्रक्षेपण के साथ यह साल काफी व्यस्तताओं वाला रहा। सबसे बड़ी उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गगनयान की घोषणा रही। उन्होंने कहा, “हमने जीसैट 11, जीसैट 29, जीसैट 6ए और जीसैट 7ए जैसे महत्वपूर्ण उपग्रह लॉन्च किए। इस साल जीएसएलवी एमके तृतीय ने भी काम करना शुरू कर दिया है।”
चंद्रयान-2 की दिशा में उठाए गए कारगर कदम
इसरो ने 18 अप्रैल को मिशन चंद्रयान-2 की घोषणा की थी। 800 करोड़ रुपये की लागत वाले इस मिशन से जुड़े लगभग सभी तकनीकी मुद्दे सुलझा लिए गए हैं। ऐसी संभावना है कि चंद्रयान 2 अगले साल में लॉन्च हो जाएगा। इस मिशन की खासियत यह है कि इसके निर्माण और उपयोग में आने वाली सामग्री पूरी तरह स्वदेशी होगी और इसीलिए इसका खर्च काफी कम है। मिशन के दौरान एक लैंड रोवर और जांच उपकरण से युक्त यान चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और उसकी सतह पर मौजूद मिट्टी व पानी के नमूने एकत्र करेगा।
इसरो का लिथियम आयन बैटरी तकनीक के हस्तांतरण का निर्णय
इसरो ने जून में वाहन उद्योग में उपयोग के लिए भारतीय उद्योग को गैर-विशिष्ट आधार पर अपनी लिथियम आयन सेल प्रौद्योगिकी को एक करोड़ रुपये में स्थानांतरित करने के अपने फैसले की घोषणा की थी। इस पहल से स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास में तेजी आएगी। इसरो की लिथियम आयन सेल प्रौद्योगिकी में 100 से अधिक देशों ने रुचि दिखाई है और इसरो ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए 14 कंपनियों को शार्टलिस्ट भी किया है। मौजूदा समय में लिथियम आयन बैटरी औद्योगिक अनुप्रयोगों और एयरोस्पेस के अलावा मोबाइल फोन, लैपटॉप, कैमरे और कई अन्य उपकरणों में उपयोग की जानेवाली सबसे प्रभावशाली बैटरी है।
मानव मिशन की दिशा में अंतरिक्ष यात्री बचाव प्रणाली का परीक्षण
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने जुलाई में अंतरिक्ष के लिए अपने मानव मिशन लक्ष्य की दिशा में अंतरिक्ष यात्री बचाव प्रणाली (क्रू इस्केप सिस्टम) की श्रंखला का पहला परीक्षण किया। मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए यात्री बचाव प्रणाली बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लॉन्च के असफल होने की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के साथ क्रू मॉड्यूल को जल्दी से परीक्षण यान से निकालकर सुरक्षित दूरी पर ले जाती है।
अंतरिक्ष विज्ञान चैनल की घोषणा
इसरो ने 12 अगस्त को अंतरिक्ष व विज्ञान को समर्पित टेलीविजन चैनल लॉन्च की घोषणा की, जिसका मकसद देश भर के लोगों तक विज्ञान-प्रौद्योगिकी के फायदों को पहुंचाना है। अगस्त महीने में इसकी घोषणा करते हुए इसरो ने कहा था, “इस चैनल के माध्यम से हमारा उद्देश्य अंतरिक्ष कार्यक्रम कैसे आम जनता को फायदा पहुंचा सकता है, इसकी जानकारी देना है।”
देश के सबसे भारी प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एमके-3 की सफल उड़ान
इस साल 14 नवंबर को देश के सबसे भारी प्रक्षेपण यान-जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हिकल-मार्क-3 (जीएसएलवी-एमके-3) ने जीसैट-29 उपग्रह के साथ उड़ान भरी। 3,423 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह जीसैट-29 सुदूर और ग्रामीण इलाकों की संचार संबंधी जरूरतें पूरी करने में सक्षम है।
सैन्य संचार उपग्रह जीसैट-7ए का प्रक्षेपण
देश की रणनीतिक सुरक्षा की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए खास वायुसेना के लिए सैन्य संचार उपग्रह जीसैट-7ए का प्रक्षेपण किया गया। यह प्रक्षेपण 19 दिसंबर को किया गया, जिसके बाद वायुसेना अपने विभिन्न रडार केंद्रों और अड्डों से हवाई हमलों की पूर्व चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली वाले विमान को जोड़ पाने में सक्षम हो पाएगी। खास बात यह है कि इससे मानवरहित वायुयान व ड्रोन को भी नियंत्रित किया जा सकता है। रणनीतिक उपग्रहों के मामले में भारत, अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के रास्ते पर चल रहा है।
सबसे भारी संचार उपग्रह जीसैट-11 लॉन्च
दिसंबर माह में ही भारत का सबसे भारी व अगली पीढ़ी का संचार उपग्रह जीसैट-11 भी लॉन्च हुआ। 5,854 किलोग्राम वजनी जीसैट-11 इसरो द्वारा बनाया गया सबसे भारी उपग्रह है, जिसमें मल्टी-स्पॉट बीम के एंटीना लगे हैं, जो भारतीय भूमि और द्वीपों को कवर कर सकते हैं। यह भारत नेट प्रोजेक्ट के तहत आने वाले देश में ग्रामीण और अभी तक पहुंच से दूर ग्राम पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, जो डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का हिस्सा है। इसके जरिए ई-बैंकिंग, ई-हेल्थ, ई-गवर्नेंस जैसी सार्वजनिक कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
मानव मिशन 2022 की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से मानव मिशन 2022 की घोषणा की थी। इस परियोजना को अमलीजामा पहनाते हुए साल के आखिर में 28 दिसंबर को भारत के महत्वाकांक्षी मानव मिशन के क्रियान्वयन की दिशा में केंद्र सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के गगनयान मिशन को मंजूरी दी। इस कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में दो मानवरहित यानों के साथ-साथ एक यान ऐसा भेजे जाने की परिकल्पना है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री भी होंगे। अबतक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा है।