बताया जा रहा है कि नए स्पेस सूट आधुनिक टेक्नोलॉजी से बने होंगे। जिसके चलते अंतरिक्ष यात्रियों को कम थकान महसूस होगी। साथ ही अंतरिक्ष में होने वाले तापमान के उतार-चढ़ाव को भी सहने की क्षमता देगा। ये खास स्पेस सूट तापमान के शून्य से -250 डिग्री नीचे चले जाने से लेकर तापमान के ऊपर जाने में भी एक समान रहेगा। इससे एस्ट्रोनॉट्स के शरीर का तापमान स्थिर रहेगा। इससे उनकी तबियत नहीं बिगड़ेगी। इसरो (ISRO) ने इन खास सूट को बनाने के लिए रूसी एजेंसी ग्लावकोसमोस के साथ करार किया है।
ग्लावकोसमोस स्पेस सूट और बैकपैक बनाने का काम करेगी। बैकपैक में ऑक्सीजन की व्यवस्था होगी। साथ ही सांस छोड़ने पर निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के उपकरण फिट होंगे। स्पेस सूट में तापमान कंट्रोल रखने के लिए बिजली की स्प्लाई की भी व्यवस्था की जाती है, और पीने के लिए एक वाटर टैंक भी लगाया जाता है। अंतरिक्ष में सूरज की तेज झुलसा देने वाली किरणों से बचाने के लिए स्पेस सूट में गोल्ड लाइन वाले वाइजर लगे होंगे। ये स्पेस में धूल से बचाने का भी काम करेंगे। इससे अंतरिक्ष यात्रियों को साफ देखने में आसानी होगी।