कम्प्यूटर्स को सिखा रहीं महसूस करना
इमोशन एआइ तकनीक की मदद से कलियूबी ने सबसे पहले एक ऐसा चश्मा बनाया था, जो ऑटिज्म से पीडि़त बच्चों के चेहरे के भाव पढऩे में मदद करता है। यह चश्मा पहनने वाले को संकेत देता है कि मुस्कुराने या भौहों को सिकोडऩे जैसी सांकेतिक भाव-भंगिमाओं को कैसे पहचानें और उनका जवाब कैसे दें। राणा के अनुसार, चश्मे के उपयोग से इन बच्चों में वास्तव में बहुत सकारात्मक सुधार देखने को मिले। वर्षों के शोध और अपडेशन के बाद, इसी तकनीक से प्रेरित 2017 में गूगल ग्लास जैसे स्मार्ट डिवाइस के रूप में लॉन्च किया गया था। मिस्र में जन्मी, कलियूबी के माता-पिता दोनों कम्प्यूटर प्रोग्रामर थे और उसने 2009 में काहिरा स्थित अमरीकी विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। आज राणा की कंपनी ‘अफेक्टिवा’ यूनिवर्सिटी के प्रयोग से बोस्टन स्थित एक अंतरराष्ट्रीय मल्टी-मिलियन डॉलर उद्यम के रूप में विकसित हुई है।
जीवन बचा सकेगी तकनीक
कलियूबी का मानना है कि इमोशन एआइ ऑटोमोटिव उद्योग में, ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम में काफी काम आ सकती है। यह कारों में लगे एआइ कैमरों की मदद से ड्राइवर की मनोदशा, व्याकुता औ उनींदेपन को पहचानकर उन्हें सचेत कर सकती है जिससे दुर्घटनाओं पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। यूरोपीय आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 90 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं। इसके अलावा, ‘इमोशन एआइ’ कारों के लिए अन्य तरीकों से भी उपयागी है। कार केबिन की रोशनी को जरुरत के अनुसार कम या ज्यादा कर सकता है, संगीत बंद कर सकता है, तापमान में बदलाव कर सकता है।साथ ही वह काम में सवार लोगों के व्यक्तिगत अनुभव को भी बता सकता है, मसलन उनकी तबीयत ठीक है या नहीं।