दुनिया की रहस्यमयी चट्टान, हर 30 साल बाद देती है अंडा, वैज्ञानिक ने बताई ये वजह शोध के दौरान प्लैटिनम के एकल परमाणुओं पर आधारित एक उत्प्रेरक विकसित किया गया, जो 150 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी कार्बन डाइऑक्साइड को पूरी तरह से मेथनॉल में बदल सकता है। आने वाले समय में इसे बड़े स्तर स्वच्छ ईंधन के तौर में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
शोधकर्ता जेंग के अनुसार- शोध में उच्च शुद्धता लाने के लिए मेथनॉल का उत्पादन किया गया। इसी कारण नई विधि के बारे में पता लगाया जा सका। इसके अलावा वैज्ञानिकों को एकल-परमाणु कटैलिसीस के तंत्र को ओर भी अच्छे ढंग से समझने में मदद मिली है।
वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी- ग्लेशियरों पर खतरा, भविष्य में भी नहीं बचा पायेंगे बचे हुए ग्लेशियर शोध से मिली सफलता के बाद विज्ञानिक इस पर और शोध कर रहे हैं। शोध का पूरा विवरण नेचर कम्युनिकेशंस मैग्जीन में छपा है। इसमें कहा गया है कि पूरी दनिया में विज्ञानिक ईंधन का विकल्प तलाशने में लगे हुए हैं।