योजना के मुताबिक इस प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा में केवल तीन महीने तक रहना था। लेकिन, इसरो वैज्ञानिकों की कुशलता से उसमें 100 किग्रा ईंधन बचा रह गया था। इसरो ने उस ईंधन का उपयोग कर प्रोपल्शन मॉड्यूल को वापस धरती की कक्षा में लाने का फैसला किया ताकि, सैंपल रिटर्न मिशन के लिए अहम जानकारियां जुटाई जा सकें।
इसरो ने कहा है कि, प्रोपल्शन मॉड्यूल अब पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 13 दिनों में पूरी कर रहा है। उसकी कक्षा भी बदल रही है और वह पृथ्वी के न्यूनतम 1.15 लाख किमी की दूरी तक आएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल के किसी भी धरती की कक्षा में चक्कर लगा रहे किसी भी उपग्रह से टकराने का कोई खतरा नहीं है।
इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करना था। उसमें शानदार सफलता मिली और 23 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद एक चंद्र दिवस (14 पृथ्वी दिवस) तक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को परिचालित किया गया। वहीं, प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम लैंडर मॉड्यूल को धरती से चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचाकर लैंडर मॉड्यूल को अलग कर देना था।