शोध से यह पता चला है कि सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसर सेल्स के अंदर पानी का वितरण भिन्न होता है। इस शोध से कैंसर सेल्स का पता लगाने का आसान विकल्प मिल गया है। शोधकर्ता की टीम के प्रभारी एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी डॉ. चयन (
water ) के नंदी ने बताया कि इसे हाल ही में जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित किया गया।
दरअसल, फ्लूरोसेंट नैनोडॉट मैटीरियल नैनोमीटर के स्केल का होता है। जितना इंसान के बालों की मोटाई होती है उससे 8,000,00 गुना छोटा होता है। बता दें कि नैनो डॉट
कार्बन (carbon ) का बना होता है और इसमें हाइड्रोफिलिक (पानी से आकर्षण) और हाइड्रोफोबिक (पानी से विकर्षण) दोनों हिस्से शामिल हैं। जैसा कि साबुन के अणु में पाया जाता है। जो एक ही नैनोडॉट के अंदर पानी के आकर्षक और विकर्षक हिस्सा होने की वजह से ये खुद को पानी के हाइड्रोजन बंधन की तरह व्यवस्थित कर लेते हैं।
कोशिकाओं में नैनोडॉट डालकर यह दिखाया कि हाइड्रोजन बंधन और पानी के कंटेंट (मात्रा) कोशिका के अलग-अलग हिस्सों से काफी भिन्न हैं। बड़ी बात यह कि सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसर कोशिकाओं में हाइड्रोजन बंधन नेटवर्क अलग दिखाई देता है। उनके इस कार्य से पहली बार यह प्रमाण मिला कि सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसर सेल्स के न्युक्लीआई में अधिक मात्रा में पानी स्वतंत्र रूप में पाया जाता है।
रिसर्चर्स के अनुसार इंसान का शरीर कई कोशिकाओं का बना होता है, जो सुचारू रुप से अपना काम करते हैं। साथ ही कोशिकाओं के कई घटक होते हैं। इनमें एक में सर्वाधिक 80 प्रतिशत पानी है। एक-दूसरे के नजदीक पानी के अणु आपस में कमजोर बंधन बलों से जुड़े होते हैं, जिन्हें हाइड्रोजन बंधन कहते हैं। हाइड्रोजन बंधन गतिमान होते हैं और पानी के इसके परिवेश से प्रतिक्रियाओं के अनुसार बदलते हैं।