सावधान! जलवायु आपातकाल की घोषणा, वैज्ञानिकों ने दिए ये बड़े सुझाव
बदलते मौसम की मारपिग्मी पॉसम चट्टानों में बिल बनाकर रहते हैं। यहां रहने से उन्हें उचित गर्मी मिलती है। ये पूरी सर्दियों के मौसम में सोते रहते हैं। हाल के कुछ दशकों से मौसम का चक्र बिगड़ने की वजह से इनकी संख्या कम हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के एसोसिएट प्रोफेसर हेले बेट्स ने बताया, “पिग्मी पॉसम को जमा देने वाली ठंड से कुछ ज्यादा तापमान की जरूरत होती है, लेकिन मौसम के चक्र के बदलने के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। हवाएं या तो बहुत ठंडी रहती हैं या ज्यादा गर्म।”
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विलुप्त होने से बचाया जा सकता हैगौरतलब है कि ये ठंडभर सोते रहते हैं लेकिन मौसम के बदलने की वजह से ये नींद में ही मर जाते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति को बचने के लिए तराई क्षेत्रों में कृत्रिम बिल तैयार किए जहां इन्हें बसाया गया। करीब 25 पिग्मी पॉसम से बनी इस कॉलोनी को बसाया गया और इनपर दो वर्षों तक अध्ययन किया गया। अध्ययन में पाया गया कि अगर तराई क्षेत्रों में इनके लिए सही इंतज़ाम किए गए तो इस प्रजाति को बचाया जा सकता है।