सतना। किसी भी दंपति के लिए इससे बड़ी सौगात कोई नहीं हो सकती कि वे शादी की 25वीं सालगिरह की तैयारी में जुटे हों और बेटा यूपीएससी में चयन का तोहफा थमा दे। सतना के प्रतिभाशाली आशुतोष सिंह ने सच में माता-पिता के लिए ऐसा ही तोहफा दिया है। जिसे अब वे ताउम्र नहीं भूल पाएंगे।
आशुतोष ने यूपीएससी में देश में 942 वीं रैंक हासिल की है। उनके पिता एनके सिंह स्कूल शिक्षा में सहायक संचालक के पद पर सतना में पदस्थ हैं, जबकि मां शकुंतला सिंह गृहणी हैं। आगामी 6 जून को उनके विवाह की 25वीं सालगिरह है और उससे पहले ही बेटे ने उन्हें सरप्राइज कर दिया।
आईआईटी रुड़की से बीटेक की पढ़ाई
(माता-पिता के साथ छोटा भाई रिजल्ट देखते हुए)
पत्रिका से चर्चा करते हुए दिल्ली से आशुतोष ने बताया, सतना के केंद्रीय विद्यालय से हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद कोटा इंजीनियरिंग की तैयारी करने गए, वहीं से 12वीं की परीक्षा पास की। फिर आईआईटी रुड़की में प्रवेश पाकर बीटेक की पढ़ाई की। यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली पहुंचे, जहां पर पिछले दो साल से तैयारी करते हुए पहली बार परीक्षा में बैठे और गत 28 मार्च को साक्षात्कार के बाद मंगलवार को जारी परिणाम में उनका चयन हो गया।
माता-पिता ने बढ़ाया हौसला उन्होंने बताया कि जब मैं तैयारी करने दिल्ली पहुंचा तो पेशे से शिक्षा कर्मी मेरे पिताजी एनके सिंह लगातार मुझसे फोन पर बातें करते थे। वह हर बार यही कहते थे कि बेटा परीक्षा कोई बड़ी व छोटी नहीं होती है। जिस तरह तुमने स्कूल स्तर पर परीक्षा की तैयारी की है। उसी लगन से और सहज भाव से तैयारी करना दिमाग में किसी प्रकार का तनाव नहीं पालना। ऐसा ही मां शकुंतला सिंह भी दिलासा देते हुए कहती रहीं कि चिंता करने की जरुरत नहीं है। अभी उम्र ही कितनी है। उनके द्वारा कही गई बातों को मैंने अपनाया और तैयारी की है, आज परिणाम सबके सामने है।
8 से 10 घंटे पढ़ाई विराट नगर निवासी आशुतोष ने बताया, वह नियमित रूप से औसतन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे। इस दौरान उनका पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित होता था। दो साल की तैयारी के दौरान कई बार डिप्रेशन का भी पल आया, उस समय ऐसा लगता था, जैसे जीवन में कुछ करने को नहीं बचा है, लेकिन मेरे माता-पिता और दोस्तों ने उत्साह बढ़ाया, जिसका मैं शुक्रगुजार हूं।
चाचा को बनाया आदर्श आशुतोष के मुताबिक, नोएडा आरटीओ में पदस्थ चाचा राजेश सिंह ने 22 साल की उम्र में यूपीएससी में स्थान बनाया था, कम उम्र में बड़ी सफलता मिलने के बाद से मैं उन्हें अपना आदर्श मानने लगा और मन ही मन में ठान लिया कि 22 साल की उम्र पूरी करते-करते मैं भी यूपीएससी में स्थान पक्का करुंगा। आज मुझे इसमें सफलता मिल गई। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता के पीछे माता-पिता का आशीर्वाद, गुरू का सहयोग एवं उनकी मेहनत छिपी हुई है।
सफलता मिलने का यकीन था आशुतोष ने बताया, पेपर अच्छे गए थे। लिहाजा यह उम्मीद थी कि सलेक्शन हो जाएगा। मुझे इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज में ही कोई अच्छी पोस्ट मिलने की पूरी संभावना है।