बकिया बराज बांध का जब निर्माण किया गया था, उस समय इसकी उंचाई 282 मीटर थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने इस बांध की उंचाई 2 मीटर घटाई थी। इससे 44 गांव डूब क्षेत्र से बाहर हो गए थे। इन ग्रामों में गढवा कला, गढवा खुर्द, खोहर, रेंहुटा, गजिगवां, किचवरिया, इटौर, गोलहटा, थथौरा, अतरहार, पिपराछा, लौलाछ, बकिया बैलो, कंदवा, घटबेलवा तथा मझियार सहित अन्य ग्राम शामिल हैं। इन ग्रामों के किसानों की जमीनें अधिग्रहित कर मुआवजा का वितरण भी किया गया था। किसानों की जमीनें डूब में नहीं आने पर जमीनें वापस दिलाने की सतत मांग की जा रही थी। 2011 में किसानों की जमीनों को वापस करने का निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने लिया था। सांसद की मौजूदगी में सतना जिले में उन्होंने यह घोषणा की थी। अब कांग्रेस शासन में शिवराज का निर्णय पूरा करने की तैयारी कर ली गई है।
बताया गया है कि इस जमीन का अर्जन दो तरीके से किया गया है। सबसे पहले जमीन रजिस्ट्री के माध्यम से ली गई थी। बाद में इनका भू-अर्जन आरबीसी नियमों के तहत किया गया। ऐसे में रजिस्ट्री वाली जमीनों की वापसी किस तरह होगी इसका निर्णय नहीं हो सका है। इसके अलावा बहुत सी जमीनें ऐसी हैं, जो अर्जन के बाद भी नामांतरित नहीं हुई थी। डूब से अप्रभावित ऐसी जमीनों को संबंधित भू-स्वामियों ने दूसरों को बेच दिया है। इस स्थिति में जमीन वापसी किसे होगी, इस पर भी निर्णय लिया जाना शेष है।
कलेक्टर के आदेश के अनुसार लगान एवं भू-राजस्व आदि का निर्धारण कर राजस्व अभिलेख दुरुस्त कराया जाना है। 15 दिन का समय दिया गया है।