दुधमुंही बच्ची को गोद में लेकर सुबह छह बजे से राशन दुकान में बैठी सोनिया को जब दोपहर तक नहीं मिला तो वह निराश होकर घर लौटने लगी। पूछने पर बताया, सुबह इसलिए जल्दी आ गए थे कि राशन मिल जाए। लेकिन, दुकानदार ने सर्वर का बहाना बनाकर राशन नहीं दिया। मैं यहां राशन की दुकान में खड़ी हूं और बच्चे घर में भूखे बैठे हैं। हर माह की यही कहानी है। सरकार जनता को राशन दिलाए, नहीं तो दुकान बंद करा दे। ऐसा राशन किस काम का।
राशन के लिए शनिवार की पूरी रात दुकान के बाहर इंतजार में बैठे रहे गरीब हितग्राहियों को उम्मीद थी कि शनिवार को सुबह 8 बजे दुकान खुलते ही उन्हें राशन मिल जाएगा। पर, ऐसा हुआ नहीं। दुकान संचालक दो घंटे की देरी से सुबह 10 बजे दुकान पहुंचीं और राशन वितरण शुरू हुआ। दो घंटे में लगभग 30-40 हितग्राहियों को राशन दिया गया। 12 बजते ही सेल्समैन ने यह कहते हुए राशन दुकान का शटर गिरा दिया कि सर्वर डाउन है, अब शाम को चार बजे दुकान खुलेगी। दुकान संचालक की इस मनमानी से रातभर दुकान के बाहर रतजगा करने के बाद भी आधा सैकड़ा महिलाओं को राशन नहीं मिला। कुछ महिलाएं सुबह छह बजे पहुंचीं। राशन की कतार खड़ी महिलाएं और बच्चे दुकान बंद होने के बाद भी चिलचिलाती धूप में भूखे-प्यासे दुकान के बाहर खड़े रहे कि शायद शाम को उन्हें राशन मिल जाए।
सुबह दो घंटे तक राशन वितरित करने के बाद दोपहर को जैसे ही दुकान बंद हुई, सुबह से कतार में खड़े हितग्राहियों ने विरोध कर दिया। इस पर दुकान संचालक शिवराज कुमारी सिंह गरीब महिलाओं से अभद्रता करने लगी। उसने कहा, किसने कहा है कि राशन दुकान में भीड़ लगाओ। मैं एक दिन में सिर्फ 60 लोगों को ही राशन दूंगी। जिससे शिकायत करनी है कर दो, मैं किसी से नहीं डरती। मैं भीड़ को नहीं समझा सकती। व्यवस्था बनवानी है तो जाओ कलेक्टर को बुला लाओ।
मुन्नी चौरसिया, हितग्राही
शारदा कुशवाहा, हितग्राही
हरिशंकर जायसवाल, हितग्राही
केके सिंह, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी