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जिला मुख्यालय में प्रशासन की नाक के नीचे संचालित इंग्लिश मीडियम स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें चलाकर अभिभावकों को दस गुना महंगी किताबें खरीदने को मजबूर कर रहे हैं। इतना ही नहीं शहर की हर अंग्रेजी माध्यम स्कूल की अपनी स्टेशनरी एवं स्कूल यूनिफार्म दुकान फिक्स है। उस विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों को उसी दुकान से स्टेशनरी, ड्रेस व जूते खरीदने को मजबूर किया जाता है।
इन स्कूलों की दुकान फिक्स
शहर के सीबीएसई अंग्रेजी माध्यम के अधिकांश स्कूल निजी प्रकाशकों की किताब व ऐसे यूनिफार्म चला रहे हैं जो शहर में एक फिक्स स्टेशनरी दुकान में ही मिलती है। शहर में संचालित क्राइस्ट ज्योति, क्रिस्टकुला, सेंटमाइकल, ग्यान गंगा, बोनांजा, डीपीएस, ब्लूम्स एकेडमी, लवडेल, जैसी नामी स्कूलों की किताब कॉपी शहर की हर स्टेशनरी दुकान में उपलब्ध नहीं है। इतना ही नहीं किड्जी जैसी फ्रेंचाइजी स्कूलों में तो बच्चों को स्टेशनरी और ड्रेस स्कूल से ही किट के रूप में उपलब्ध कराया जाता है।
शहर की नामी निजी स्कूलों से जुड़े जानकारों का कहना है कि निजी स्कूल संचालक स्कूल से अधिक स्टेशनरी एवं ड्रेस की दुकान से कमीशन के रूप में कमाई करते हैं। स्टेशनरी दुकानदार निजी प्रकाशकों की किताब अभिभावकों को दस गुना अधिक दाम पर बेच कर स्कूल संचालकों को 50 फीसदी तक कमीशन देते हैं। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि निजी प्रकाशक की 25 पन्ने की अंगेजी ग्रामर की किताब जिसकी कीमत महज 100 रुपए होनी चाहिए। उसमें 550 रुपए प्रिंट रेट डालकर अभिभावकों से मनमानी दाम वसूले जा रहे हैं। वहीं निजी स्कूल की ड्रेस जिनकी ओपेन बाजार में कीमत अधिकतम एक हजार रुपए है वे ड्रेस फिक्स दुकानों में अभिभावकों को 2500 रुपए में बेचे जा रहे हैं।