10 जिलों में बंपर खेती
संतरा उत्पादन में आगर मालवा पहले नंबर पर है। यहां आठ 8 लाख टन से ज्यादा संतरा तैयार हो रहा है। शाजापुर, छिंदवाड़ा, राजगढ़, मंदसौर, बैतूल, उज्जैन, नीमच, होशंगाबाद, सीहोर आदि जिले संतरा की खेती के नए गढ़ बने हैं।
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इसलिए मात खा रहे किसान
प्रदेश में किसान जो पसीना बहा रहे हैं और नवाचार का जोखिम उठा रहे हैं, उसका वैसा रिटर्न धारणा की लड़ाई में पिछड़ने के कारण नहीं मिल रहा। सालों से संतरे में नागपुर की त्रादशाहत कायम है। यह केवल कागजी और धारणा पर है। प्रदेश के अन्नदाता इसे कब का तोड़ चुके हैं। प्रसंस्करण इकाई, कोल्ड स्टोरेज और मंडी नहीं होने से मात खा रहे हैं। उच्चानिकी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि, हर साल 20 लाख टन से ज्यादा संतरा उत्पादन कर देश में प्रदेश पहले नंबर पर है। प्रमोशन की कमी से हम धारणा की लड़ाई को नहीं जीत पाए। किसानों के अनुसार, अगर मंडी और भंडारण की व्यवस्था के साथ सह उत्पाद बनाने की फैक्ट्री लग जाए तो किसान मालामाल हो सकता है। किसान रमेश चौधरी कहते हैं कि, रिसर्च और बीमारी को लेकर मदद नहीं मिल पाती है।
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कर रहे संघर्ष
आगर मालवा जिले के किसान महेंद्र पालीवाल बताते हैं कि, कीट पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मदद नहीं मिलने से खेती आधी करनी पड़ी है। नागपुर और दूसरे शहरों के व्यापारियों को औने- पौने दाम पर संतरा देना पड़ता है।
नागपुर जाओ या राजस्थान
मंदसौर जिले के गरोठ के एक किसान रामगोपाल पाटीदार बताते हैं, मंडी नहीं होने से संतरा नागपुर ले जाओ या राजस्थान का रुख करो। इस तरह फसल का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता।
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