Maihar becomes a new district, Maihar will be the 56th district
सतना। मंगलवार 5 सितंबर का दिन सतना जिले के इतिहास में दर्ज हो गया जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मैहर की जन आशीर्वाद यात्रा के बीच लैपटॉप के जरिए मैहर को न केवल जिला बनाने की घोषणा की साथ ही मैहरकको जिला बनाने की कार्यवाही प्रारंभ करने की जानकारी दी। इसके कुछ घंटे बाद ही राजस्व विभाग ने असाधारण राजपत्र के जरिए सतना जिले की सीमाओं को परिवर्तित करते हुए नवीन जिला मैहर निर्मित करने की अधिसूचना जारी कर दी। इधर इस बदलाव की घोषणा के साथ ही मैहर मैं जश्न का माहौल बन गया है। लोग एक दूसरे से गले मिले तो कईयों ने मिठाई बांट का खुशी का इजहार किया। लेकिन शेष रह गए सतना जिले के निवासियों को मायूसी देखने को मिली। सतना जिले के भाग्य में विभाजन की रूपरेखा तय कर मैहर को नया जिला बनाने वाली 5 सितंबर की तारीख दो चेहरे समेटे सामने आई। एक ओर मैहर में जहां खुशी और उल्लास का माहौल रहा तो सतना वासियों के चेहरे पर मायूसी और नाराजगी स्पष्ट देखने को मिली।
कमलनाथ के मैहर से छोटा है शिवराज का मैहर कमलनाथ सरकार के वक्ते मैहर जिले का जो प्रस्ताव तैयार किया गया था वह 4 तहसील और 861 गांव वाला जिला था। इसमें उचेहरा तहसील का हिस्सा भी शामिल किया गया था। तब मैहर जिले का क्षेत्रफल 305572 हैक्टेयर प्रस्तावित था। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घोषणा के बाद जो नया प्रस्ताव मैहर जिले के गठन का तैयार किया गया है उसमें न केवल एक तहसील कम कर दी गई है बल्कि 207 गांव कम कर दिए गए हैं। दरअसल हालिया नए जिले के गठन को लेकर विधानसभा के हिसाब से विभाजन किया गया है। ऐसे में उचेहरा तहसील के नागौद विधानसभा में शामिल होने के कारण इसे नये मैहर जिले में शामिल नहीं किया गया है।
यह होगा क्षेत्रफल इन सबसे इतर नवगठित होने वाले मैहर जिले की भौगोलिक स्थिति देखे तो तीन तहसीलों वाला नया मैहर जिला होगा। इसमें 654 गांव होंगे। प्रस्तावित मैहर जिले का क्षेत्रफल 2,21,850 हैक्टेयर होगा। जो नई तहसीलें इस जिले में समाहित होंगी उनमें मैहर, अमरपाटन और रामनगर शामिल हैं।
4 गांव बनेंगे राजस्व टापू विधानसभा के हिसाब से किए गए विभाजन में चार गांव ऐसे हैं जो चारों ओर से अन्य जिलों से घिरे रहेंगे। इसमें दो गांव कटनी जिले से चारों ओर से घिरे रहेंगे और दो गांव सतना जिले से घिरें रहेंगे। इन गांवों तक पहुंचने के लिए दूसरे जिले की सीमा से होकर जाना होगा।
ऐसी होनी नव निर्मित मैहर जिले की भौगोलिक स्थिति 1. मैहर – तहसील प्रस्तावित मैहर जिले की सबसे बड़ी तहसील मैहर ही होगी। इस तहसील में 7 आरआई सर्किल मैहर, तिलौरा, नादन, अमदरा, कुसेड़ी, भदनपुर और बदेरा शामिल होंगी। इसमें 122 पटवारी हल्के, 254 ग्राम, 115 पंचायतें और एक नगर पालिका मैहर होगी। इस तहसील की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 3,58,725 होगी। इसका क्षेत्रफल 1,12,572 हैक्टेयर होगा। जिला मुख्यालय मैहर से सबसे दूरी का राजस्व सर्किल अमदरा 30 किमी होगा।
2. अमरपाटन – तहसीलप्रस्तावित मैहर जिले की दूसरी तहसील अमरपाटन होगी। इसमें तीन राजस्व निरीक्षण मंडल अमरपाटन, कठहा और ताला होंगे। इसमें 53 पटवारी हल्के, 132 ग्राम, 75 ग्राम पंचायतें और एक नगर परिषद अमरपाटन होगी। अमरपाटन तहसील की जनसंख्या 2,24,762 होगी। इसका क्षेत्रफल 49,224 हैक्टेयर होगा। जिला मुख्यालय से सबसे दूरी की राजस्व सर्किल ताला 60 किमी होगी।
3. रामनगर तहसील – प्रस्तावित मैहर जिले की तीसरी और अंतिम तहसील होगी। इसमें तीन राजस्व निरीक्षक मंडल रामनगर, बड़वार और झिन्ना होंगे। इसमें 59 पटवारी हल्के, 268 ग्राम, 55 ग्राम पंचायतें और एक नगर परिषद रामनगर होगी। रामनगर तहसील की जनसंख्या 1,54,414 होगी। इसका क्षेत्रफल 60,054 हैक्टेयर होगा। जिला मुख्यालय मैहर से सबसे दूरी की राजस्व सर्किल झिन्ना 70 किमी होगी।
सतना जिले का 60 फीसदी घट जाएगा खनिज राजस्व सतना। मैहर के जिला बनने के बाद सतना के आर्थिक हितों पर बड़ी चोट पहुंचने वाली है। जिले के औद्योगित क्षेत्र का लगभग 40 फीसदी हिस्सा मैहर जिले में चला जाएगा। सतना जिले को खनिज का सबसे ज्यादा राजस्व भी मैहर से ही मिलता था। खनिज विभाग के सूत्रों के अनुसार लगभग 60 फीसदी खनिज राजस्व मैहर क्षेत्र से आता था। सतना जिले खनिज का कुल राजस्व लगभग 295 करोड़ का है ऐसे में 177 करोड़ रुपये मैहर जिले के हिस्से में चले जाएंगे और सतना जिले के हिस्से में 118 करोड़ रुपये ही रहेंगे। इसी तरह वर्तमान में सतना जिले के विकास कार्यों के लिए 45 करोड़ रुपये खनिज मद से मिलते रहे हैं। यह भी 60 फीसदी घट कर 18 करोड़ रुपये हो जाएगा और मैहर जिले को लगभग 27 करोड़ रुपए डीएमएफ के मिलेंगे। जिसके जरिये मैहर जिले में विकास कार्य होंगे।
ऐसे घटेगा राजस्व मैहर क्षेत्र में अभी चार बड़े सीमेंट उद्योग है। इनमें अल्ट्राटेक, रिलायंस, मैहर और केजेएस है। इन चार उद्योगों से सालाना 100 से 110 करोड़ रुपये खनिज राजस्व प्राप्त होता है। इसके अलावा वाइट क्ले, लाइम स्टोन, गिट्टी, पटिया पत्थर से भी राजस्व की प्राप्ति होती है। नया जिला बनने के बाद यह राशि सतना जिले के खाते से जाती रहेगी।
पंजीयन का भी राजस्व घटेगा जानकारों की माने तो मैहर जिला बनने के बाद पंजीयन विभाग के राजस्व पर भी काफी असर पड़ेगा। पंजीयन विभाग को 30 फीसदी के लगभग हानि की आशंका है। क्योंकि इन दिन नेशनल हाइवे से लगे इलाके की वजह से उस क्षेत्र से पंजीयन काफी ज्यादा आ रहे थे। इसी प्रकार वाणिज्यिक कर विभाग में भी सतना जिले को 20 फीसदी के लगभग नुकसान आंकलित किया जा रहा है।
सीएम हाउस से हुई मैहर जिला बनाने की घोषणा मां शारदा की नगरी मैहर को जिला बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस के कार्यालय समत्व से की। यह घोषणा उन्होंने वर्चुअल तरीके से की। जिसका लाइव प्रसारण मैहर के बंधा बैरियर के पास आयोजित कार्यक्रम में किया गया। यहां लैपटॉप के जरिये मुख्यमंत्री की घोषणा को लाइव देखा और सुना गया। सीएम ने कहा, मुझे मैहर आकर ही जिला बनाने की घोषणा करनी थी, लेकिन केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मंडला और श्योपुर आगमन के कारण मेरा मैहर आना संभव नहीं हो सका। मैं माँ का आशीर्वाद लेकर ही आज यह घोषणा कर रहा हूं। न केवल मैहर को जिला बनाने की घोषणा कर रहा हूं बल्कि आज से ही कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है।
कर सकते हैं दावा आपत्ति मैहर को जिला बनाने के लिये नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। अगर किसी को मैहर जिला बनाने में कोई आपत्ति है या फिर कोई सुझाव या दावा करना है तो वह नोटिफिकेशन के तीस दिन के अंदर कर सकता है। इसके बाद इन दावा आपत्तियों का निराकरण किया जाएगा। इसके बाद मैहर जिला निर्मित करने का नोटिफिकेशन होगा और यहां कलेक्टर एसपी की पदस्थापना की जाएगी।
नया जिला बनाने में खर्च होंगे 140 करोड़ मैहर जिला निर्मित करने के लिए जो संभावित व्यय आंकलित किया गया है वह 140 करोड़ रुपये के लगभग है। यह राशि और ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा फर्नीचर और स्टाफ की व्यवस्था में होने वाला खर्च 50 करोड़ रुपए आंकलित किया गया है। यहां पर नया कलेक्ट्रेट, नया एसपी ऑफिस भवन बनाना होगा। इसके साथ ही काफी संख्या में कर्मचारी निवास भी बनाने होंगे।
7 थानों का होगा मैहर जिला नए जिले मैहर में अब 7 थाने होंगे और 4 पुलिस चौकी आएंगी। विभाजन के पश्चात सतना में 19 थाना 11 चौकी बचेंगी। पिछले दिनों शासन ने यहां सीएसपी की पोस्टिंग पहले ही कर दी थी। मैहर जिले में मैहर, नादन देहात, अमरपाटन, रामनगर, बदेरा, अमदरा एवं ताला थाना होगा।
रीवा संभाग के सांसदों का अनोखा संयोग सतना और रीवा जिले के विभाजन के पहले इन जिलों के सांसद के हिस्से में एक जिला आता था। लेकिन अब रीवा संभाग के तीन सांसदों में सभी के हिस्से में दो-दो जिले आएंगें। मसलन सतना लोक सभा में दो जिले सतना और मैहर, रीवा लोक सभा में दो जिले रीवा और मऊगंज तथा सीधी लोक सभा में सीधी और सिंगरौली जिले आएंगे।
मैहर जिले के अस्तित्व में आते ही धूमिल हो जाएगी सतना जिले की शान सतना जिले के विभाजन की खबर जैसे ही सतना जिले में फैली तो सतना जिला वासियों में मायूसी का साया स्पष्ट देखने को मिला। ज्यादातर शेष बचने वाले सतना जिले के निवासी इस फैसले से खुश नजर नहीं आए। इसकी वजह है सतना जिले की ज्यादातर पहचान जिन विशेषताओं से होती थी वे मैहर जिले के खाते में जा रहे हैं।
1. मां शारदा मंदिर- मां शारदा मंदिर की पहचान देश विदेश में है। प्रतिवर्ष यहां लाखों श्रद्धालु आते रहे हैं। जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता था और इसका लाभ सतना जिले को होता था। इसके अलावा यह सतना जिले में था। लेकिन विभाजन के बाद ये मैहर जिले में आने से मैहर जिले की पहचान बनेगी।
2. वाइट टाइगर सफारी- एशिया की पहली वाइट टाइगर सफारी को सतना जिले की शान माना जाता था। यह सतना जिले की प्रमुख पहचान में होती थी। कलेक्टर कार्यालय सहित एनआईसी की वेबसाइट में भी वाइट टाइगर सतना जिले के गौरव के रूप में दिखाए जाते हैं। मैहर जिला बनने के बाद यह हिस्सा मैहर जिले के हिस्से में चला जाएगा।
3. बाणसागर जलाशय – बाणसागर जलाशय का बड़ा हिस्सा सतना जिले में आता है। इस जलाशय के झिन्ना और मारकण्डेय से सतना जिले के सभी ब्लाकों में नल जल मिशन के तहत पानी की सप्लाई होनी है। अभी यह सतना जिले के हिस्से में था। मैहर जिला बनने के बाद से यह हिस्सा मैहर के हिस्से में चला जाएगा। इस जलाशय से सतना जिले का सबसे ज्यादा मत्स्य उत्पादन होता है। यह भी मैहर जिले के हिस्से में चला जाएगा।
4. मारकण्डेय आश्रम और टापू – मारकण्डेय ऋषि का आश्रम अभी अमरपाटन तहसील में आता था जो प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इसी घाट से प्रसिद्ध सिरसी टापू जाने का रास्ता था। लेकिन अब यह मैहर जिले में आएगा। यहां भविष्य में वाटर स्पोर्ट और स्टीमर का प्लान था। अब यह सब मैहर जिले में चला जाएगा।
5. सर्वाधिक सीमेंट उत्पादक जिला – सतना जिले को देश की सीमेंट राजधानी के रूप में पहचाना जाता था। देश में सबसे ज्यादा सीमेंट उत्पादन करने वाले जिले और सर्वाधिक सीमेंट फैक्टि्रयों वाले जिले के रूप में सतना की पहचान थी। लेकिन विभाजन के बाद यह पहचान भी खत्म हो जाएगी।
6. खनिज राजस्व – प्रदेश में टाप फाइव खनिज राजस्व वाले जिलों के रूप में सतना जिले की पहचान थी। लेकिन अब यह भी छिन जाएगी। 7. जिला मुख्यालय की प्यास मैहर जिले से बुझेगी – गर्मी के दिनों में जब सतना शहर का एनीकट का जल स्तर काफी नीचे चला जाता था तो बाणसागर नहर के जरिये पानी लिया जाता था। अभी तक यह अपने सतना जिले से ही लिया जाता था। लेकिन अब यह पानी मैहर जिले से आएगा। इसी तरह से सतना स्मार्ट सिटी की बहुप्रतीक्षित नेक्टर झील को भी पानी बाणसागर नहर के जरिए मैहर जिले से ही प्राप्त होगा। इस नहर से होनी वाली ज्यादातर सिंचाई अब मैहर जिले से होगी।
विभाजन पर यह कहा सतना वासियों ने” सतना जिले की पूरी पहचान इस विभाजन ने छीन ली है। यह विभाजन आर्थिक, एतिहासिक, भौगोलिक और राजस्व किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। विकासशील सतना जिले को इस विभाजन के जरिए विकास की मूल धारा से काट कर सिर्फ कुछ जनप्रतिनिधियों ने अपनी राजनीतिक तुष्टिकरण को सिद्ध किया है। सतना जिला वासियों के लिये यह काला दिन है और इसे इसी दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।- प्रणवीर सिंह, संयोजक विन्ध्य पुनरोदय मंच
” इस विभाजन के बाद सतना में अब कुछ नहीं बचा सिवाय राजस्व सीमाओं के। यहां सिर्फ गाल बजाने वाले नेता रहेंगे जिन्होंने मौन रहकर सतना के ऐतिहासिक विभाजन का दृश्य देखा है। अब सिर्फ सतना की पहचान के रूप में चित्रकूट बचा है, लेकिन उसे भी ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश का हिस्सा मानते हैं। सतनावासी सिर्फ राजनीतिक रूप से ठगे गए हैं। – विजय मिश्रा, सेवानिवृत्त शासकीय सेवक
” वैसे भी दो दशक पहले का सतना जो विन्ध्य का व्यापारिक केन्द्र हुआ करता था, कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के चलते पिछड़ता चला गया और सतना पर निर्भर रहने वाला रीवा अब महानगर बनने की ओर है। ऐसे में यह विभाजन सतना को और धरातल पर ले जाएगा। जिसके दोषी आज के वे जनप्रतिनिध और नेता होंगे जो चुप्पी साधे बैठे हैं। सतना की सभी पहचान अब छिन गई। – रावेन्द्र सिंह, व्यवसायी
” अगर पिछड़े पन और विकास का हवाला देकर मैहर को जिला बनाया जा रहा है तो सबसे ज्यादा जरूरत तो चित्रकूट को थी। ऐसे में चित्रकूट को जिला बनाना चाहिए था। अब जबकि वाइट टाइगर सफारी सतना जिले से छिनने जा रही है तो उसकी भरपाई सतना के जनप्रतिनिधियों को सरभंगा अभयारण्य बना कर करनी चाहिए। –अमिताभ पाण्डेय, शासकीय सेवक
” जो बोल रहे हैं कि मैहर का विकास होगा अभी तक विकास नहीं होने के पीछे भी तो वही दोषी है। अगर सतना जिले का संपूर्ण विकास जिले के जनप्रतिनिधि करते तो यह स्थिति क्यों बनती। सरभंगा जैसे टाइगर वाले इलाके में जो सरभंगा अभयारण्य नहीं बनने दे रहे हैं वही मैहर जिला बनाने में अपनी ताकत झोंक रखे थे। सतना जिले के साथ अन्याय हुआ है। मैहर के विकास की बाते करने वाले सतना का विकास सिर्फ होर्डिंगों में दिखा पा रहे हैं। – रावेन्द्र पाण्डेय, कृषक
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