मां की सेहत से बनेगी बात
रीवा मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.ज्योति सिंह कहती हैं कि, बच्चों को स्वस्थ बनाना है तो मां की सेहत पर खास ध्यान देना होगा। बच्चों के अंडरवेट होने और कद काठी कम होने का सीधा संबंध उनके जन्म की समस्या से जुड़ा है। महिलाओं में एनीमिया यानी रक्त की कमी का स्तर बढ़ता जा रहा है। जिसका असर बच्चों के शारीरिक विकास पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि, शिशु के लिए 1000 दिन गोल्डन टाइम होते हैं। कोख में पलने से लेकर उसके पैदा होने तक बेहतर देखभाल ही बच्चे के भविष्य की राह आसान करती है।
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6 फीसदी की कमी
लोकसभा में सरकार की ओर से पेश जवाब के अनुसार, बच्चों की कद-काठी कम होने और कुपोषण के स्तर में चार साल में 6 फीसदी की कमी आई है। सरकार ने बताया कि मध्य प्रदेश में 2015-16 के सर्वे में 42 फीसदी बच्चे ठिगने पाए गए थे, जो 2019-21 में घटकर 35.7 प्रतिशत पर आ गए हैं। ऐसा ही तीन अन्य संकेतकों में भी सुधार हुआ है।
7 जिले पिछड़े
लोकसभा में महिला बाल विकास मंत्रालय ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के हवाले से रिपोर्ट पेश की है। इसके अनुसार बच्चों के शारीरिक विकास के मामले में 7 जिलों की स्थिति खराब है। सतना में 5 साल तक की उम्र के 49 फीसदी बच्चे बौने पाए गए। शहडोल 44 फीसदी और सागर में 42 फीसदी बच्चों का कद और वजन कम है। इसके अलावा आगर मालवा, बालाघाट, हरदा और रीवा बच्चों के ठिगनेपन के मामले में प्रदेश के 35.7 फीसदी के आंकड़े से आगे हैं।
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