मैहर के सोनवारी निवासी 18 वर्षीय मोलिया आदिवासी को कई दिन से पेट में दर्द हो रहा था। पहले गांव में निजी क्लीनिक में इलाज कराया, लेकिन आराम नहीं मिला। जिला अस्पताल सर्जिकल विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श पर सोनोग्राफी कराई तो पथरी होना बताया गया।
शिवराजपुर के दुआरी गांव निवासी परमलाल चौधरी को एक साल से भी अधिक समय से पेट दर्द और पेशाब में जलन हो रही थी। चिकित्सकों के परामर्श पर एक्स-रे, सोनोग्राफी में गुर्दे के पास पथरी की पुष्टि हुई। शहर के निजी हॉस्पिटल में सर्जरी के बाद चिकित्सकों ने आधा किलो का स्टोन निकाला।
सर्जिकल स्पेशलिस्ट डॉ.आलोक खन्ना ने बताया ने जिले में पथरी के रोगियों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि की वजह पानी में कै ल्शियम और मैग्निशियम जैसे रासायनिक तत्वों की अधिकता बता रहे हैं। पानी में दोनों तत्वों की अधिकता होने से लोग आसानी से पथरी के शिकार हो रहे हैं। जिले के भूगर्भ सहित अन्य स्रोत में दोनों तत्वों की अधिकता होने की संभावना है। इसकी वजह से बच्चे भी बड़ी संख्या में इसके शिकार हो रहे हैं।
डॉ. सुधीर ने बताया, पथरी होने पर शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए। पानी की कमी से कभी भी असहनीय दर्द की शिकायत हो सकती है। अधिक पानी पीने से भी पथरी मूत्राशय के रास्ते बाहर आ सकती है। आकार बड़ा होने पर लेजर ऑपरेशन भी कराया जा सकता है।
जिला अस्पताल में गुर्दे, पेशाब की थैली सहित अन्य में पथरी के हर माह 20 से 30 पीडि़तों की सर्जरी की जा रही है। सर्जिकल स्पेशलिस्ट डॉ प्रमोद पाठक ने बताया, स्टोन का आकार बढ़ जाने से पीडि़त की तकलीफ भी बढ़ जाती है। जल्दी आपॅरनेश नहीं कराने से गंभीर मर्ज के शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है। सर्जिकल विशेषज्ञों की टीम हर माह ऐसे पीड़ितों की सर्जरी कर रही है।
शहरी अंचल के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी पथरी पीडि़तों की सख्या में इजाफा हो रहा है। सर्जिकल विशेषज्ञ डॉ. सुधीर सिंह ने बताया, जिला अस्पताल में सबसे ज्यादा गुर्दे और मूत्राशय में पथरी के पीडि़त आ रहे हैं। पीडि़तों में सबसे ज्यादा संख्या 30 से अधिक आयु के लोगों की है।