लॉकडाउन के दौरान यूपी के इस जिले में बढ़ गई गोतस्करी, रासुका लगाने की उठी मांग
यानी साफ है कि, रोजे के दाैरान इस टेस्ट को कराने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दरअसल, रमजान माह शुरू हाेने के बाद से मुस्लिम समाज के लोगों में रोजे के दौरान कोरोना टेस्ट कराने को लेकर कई तरह की शंकाएं सामने आ रही थी। अब इस पर दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर इन शंकाओं पर अंकुश लगाते हुए कोरोना टेस्ट कराने को जायज बता दिया है।घर के बाहर से वापस हो गई एंबुलेंस रातभर तड़पता रहा व्यक्ति
जनपद बिजनौर के रहने वाले अरशद अली ने दारुल उलूम देवबंद ( deoband darul ullom ) से लिखित में सवाल किया था। अरशद अली के सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने फतवे में कहा कि कोरोना टेस्ट के दौरान नाक या हलक (मुंह) में रुई लगी स्टिक डाली जाती है। उस स्टिक पर किसी तरह की कोई दवा या केमिकल नहीं लगा होता है। यह स्टिक नाक व मुंह में सिर्फ एक बार ही डाली जाती है। रुई पर नाक व हलक का जो गीला अंश लगता है, उस सैंपल को ही मशीन के जरिए चेक किया जाता है। ऐसे में रोजे की हालत में कोरोना वायरस टेस्ट के लिए नाक या हलक का गीला अंश देना जायज है। ऐसा करने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।Breaking news: Lockdown में बुलंदशहर में की गई दो साधुओं की हत्या, तलवार से काटा गया गला
बता दें कि, दारुल उलूम रमजान से पहले घरों में ही रहकर रमजान की सारी इबादत करने की अपील कर चुका है। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि इस बार रमजान का महीना ऐसे समय में आ रहा है जब कोरोना वायरस से सारी दुनिया लड़ रही है। वर्तमान समय में मुसलमानों को ज्यादा सब्र के साथ काम लेने की आवश्यकता है। सभी मुस्लिम परिवार घर पर ही करें।