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सहारनपुर

किसानाें के लिए छाेड़ दी थी दिल्ली पुलिस की नाैकरी, जानिए काैन हैं राकेश टिकैत

राकेश टिकैत दाे दिन के किसान नेता नहीं है। वर्ष 1985 में उन्हाेंने किसानाें की खातिर ही दिल्ली पुलिस की नाैकरी छाेड़ दी थी। जानिए इस किसान नेता के बारे में और भी कई राैचक बातें।

सहारनपुरJan 31, 2021 / 01:05 pm

shivmani tyagi

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किसान नेता राकेश टिकैत

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

सहारनपुर. ‘राकेश टिकैत’ एक ऐसे किसान नेता नेता जिनके आंसुओं ने राताें-रात किसान आंदाेलन का पासा ही पलट दिया। लाल किले ( red fort ) की घटना के बाद किसान आंदाेलन दम ताेड़ रहा था और साेशल मीडिया अन्नदाता के चरित्र पर सवाल खड़े करने लगा था। लगभग तय हाे चुका था कि किसान अपना आंदाेलन खत्म करके राताे-रात घर लाैट जाएंगे लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ( rakesh tikait ) के आंसुओं ने दम ताेड़ते किसानाें के इस आंदाेलन में इतनी ताकत भर दी कि अगले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी का बयान आया कि किसानाें से वार्ता के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं।
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इस घटना के बाद किसान नेता ( farmer leader ) राकेश टिकैत देशभर में सुर्खियां बन गए। साेशल मीडिया ( social media ) पर छा गए और किसानाें की राजनीति का एक चेहरा बन गए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ‘राकेश टिकैत काैन हैं ? अगर आपकाे ऐसा लगता है कि वह राताे-रात फेम बन गए हैं ताे ऐसा बिल्कुल नहीं आपका अऩुमान गलता है। दरअसल राकेश टिकैत किसानाें के बीच काेई नया नाम नहीं है। वह दशकाें से किसानाें की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं और उन्हे किसानाें से यह हमदर्दी विरासत में मिली है।
महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे के हैं राकेश टिकैत

देश की राजधानी नई दिल्ली ( New Delhi ) से करीब 150 किलाेमीटर दूर मुजफ्फरनगर ( Muzaffarnagar ) के गांव सिसाैली के रहने वाले राकेश टिकैत बड़े किसान नेता स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के छोटे बेटे हैं। देश में किसानाें की बात करने वाले चाैधरी चरण सिंह के बाद अगर किसी किसान नेता का नाम जुबां पर आता है वह महेंद्र सिंह टिकैत हैं। किसानाें का कहना है कि राकेश टिकैत काे किसानाें का नेतृत्व करने की विलक्षण क्षमता अपने पिता से ही विरासत में मिली है।
किसानाें के लिए छोड़ दी थी दिल्ली पुलिस की नाैकरी

राकेश टिकैत पढ़ाई करने के बाद दिल्ली पुलिस ( Delhi police ) में भर्ती हाे गए थे। वर्ष 1985 में महेंद्र सिंह टिकैत दिल्ली के लाल किले पर किसानाें के लिए सरकार के खिलाफ धरना दे रहे थे। उस समय राकेश टिकैत पर दिल्ली पुलिस की ओर से दबाव बनाया गया। उन्हे कहा गया कि वह अपने पिता से बात करें और धरने काे खत्म कराएं। उस दाैरान दिल्ली पुलिस की नाैकरी मिलना एक बड़ी बात थी लेकिन एक छोटे से किसान परिवार से हाेने के बावजूद उन्हाेंने एक अहम फैसला लिया और किसानों के लिए दिल्ली पुलिस की नाैकरी (Police Job ) से इस्तीफा दे दिया और अपने पिता के साथ खड़े हाे गए।
राष्ट्रीय प्रवक्ता है राकेश टिकैत

महेंद्र सिंह टिकैत के आंदाेलनों ने देश में किसान यूनियन काे जन्म दिया। उनके देहांत के बाद बड़े बेटे यानि राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत काे भारतीय किसान यूनियन की कमान साैंप दी गई। नरेश टिकैत काे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया और राकेश टिकैत काे राष्ट्रीय प्रवक्ता। आज देश में कई किसान संगठन हैं लेकिन आज भी भाकियू के नाम से उसी संगठन काे जाना जाता है जिसके राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके बड़े भाई।
44 बार जेल जा चुके हैं है राकेश टिकैत

भाकियू के मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष धीरज लाठियान कहते हैं कि जिनके आंसू राताे-रात बाजी पलटने की क्षमता रखते हैं जिनके एक आह्वान पर महज आठ घंटे में मुजफ्फरनगर में राताे-रात महापंचायत खड़ी हाे जाती है और बड़ी संख्या में किसान जुट जाते हैं, ऐसे किसान नेता राकेश टिकैत किसानाें के लिए एक दाे नहीं बल्कि पूरे 44 बार जेल जा चुके हैं। धीरज बताते हैं कि मध्यप्रदेश के आंदाेलन के दाैरान वह भी राकेश टिकैत के साथ जेल गए थे उस समय उन्हे सहडोल जेल में रखा गया था।

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