कैराना उपचुनाव के लिए जब दो दर्जन MLA, 3 सांसद और 4 मंत्रियों के साथ पहुंचा ये नेता तो मच गई खलबली
सूत्रों का दावा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती से बात न होने की वजह से महागठबंधन पर कोई फैसला नहीं हो सका, क्योंकि मायावती शुक्रवार को कर्नाटक में चुनाव प्रचार के लिए गई हुई हैं जो कि कल वापस आएंगी। उनके वापस आने के बाद ही महागठबंधन को लेकर कुछ हो पाएगा। प्राप्त जानकारी के मुताबिक क्षेत्र के अधिकांश सपा नेता कश्यप बिरादरी से ही उम्मीदवार लड़ाने की सलाह दे रहे हैं। सूत्रों ने दावा किया है कि तबस्सुम हसन के विरोधियों ने दलील दी है कि मुसलमान को लड़ाने से कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि वहां की भौगोलिक स्थिति मुसलमान के पक्ष में नही है।बिग ब्रेकिंग: कैराना उपचुनाव में महागठबंधन के लिए इस नेता की पहल पर चल रहा मंथन, हो सकता है बड़ा फेरबदल
यह है जातिगत समीकरणपांच लाख पचास हजार मुसलमान व दो लाख पचास हजार दलित है, जो सत्रह लाख की लोकसभा में मात्र आठ लाख बैठते हैं, जबकि भाजपा के पास बचते हैं दस लाख वोट। जो जीत के द्वार तक पहुंचने से काफी दूर हैं पर अगर कश्यप के दो लाख वोटों को साथ लेकर चला जाए तो मजबूत स्तिथि में होंगे। सूत्रों का दावा है कि सपा को यह बात समझ में आ गई कि मुसलमान तो वोट देगा ही उसको टिकट देकर क्या फायदा इसलिए नाम निकल कर आया कश्यप समाज के किरण पाल कश्यप का जो 2017 में थानाभवन से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। कश्यप को मात्र दस हजार वोट मिले थे। वैसे इस चुनाव को उस चुनाव को विधानसभा से जोड़कर नहीं देखना चाहिए क्योंकि इस बार सपा -बसपा का एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव जीतने के बाद सपा और बसपा गठबंधन के कैराना में भी साथ लड़ने की चर्चा के बीच रालोद ने भी इसमें शामिल होने की इच्छा जताई है। रालोद की तरफ से जयंत चौधरी के मैदान में उतरने की चर्चा चल रही है। इसी को लेकर शुक्रवार को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी अखिलेश यादव के घर पर पहुंचे। दरअसल जयंत चौधरी महागठबंधन की ओर से खुद को प्रत्याशी बनाए जाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।