मंगलवार को जारी अपने एक बयान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, भारत एक प्राचीन सभ्यता और संस्कृति वाला देश है। यहां विभिन्न धर्म और विचारधाराओं के लोग रहते हैं। ये सभी लोग अलग-अलग विचाराधाराओं और धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की पवित्र सभ्यता को पश्चिमी दुनिया के स्वतंत्र विचारों वाले अभिजात्य वर्ग की मनमानी से ना तो ढका जा सकता है और ना ही कुचला जा सकता है।
मौलाना मदनी ने ये भी कहा कि न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करके विवाह की पवित्र और शुद्ध व्यवस्था की रक्षा की है। न्यायालय ने उन संस्कारों और मान्यता को समझा है जिन्हे देश की जनता ने सदियों से समझा और आत्मसात किया है। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और अपने सांस्कृतिक मूल्यों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने में अदालत का जो परिपक्व फैसला दिया है उसकी हम सराहना करते हैं। यहां आपको ये भी जान लेना चाहिए कि इस मामले में जमीयत उलमा-ए-हिंद भी सुप्रीम कोर्ट में एक पक्षकार है।