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इस संबंध में सोमवार को खानकाह मोहल्ला स्थित मदरसा जामिया शेखुल हिंद में उलमा की बैठक हुई, जिसमें उनके बयानों को गलत तरीके से दिखाने के लिए चैनलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया गया। जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि मीडिया ने बयानों को तोड़मरोड़ कर पेश करते हुए इसे फतवे की शक्ल दी है। हालांकि, यह शरीयत की रोशनी में दी गई निजी प्रतिक्रियाएं थी। जबकि शरीयत का हुक्म बयान करते हुए कहा गया था कि हर इंसान को अपनी जिंदगी अपने तरीके से गुजारने का अधिकार है। इस्लाम यह नहीं कहता कि किसी की निजी जिंदगी में दखल दिया जाए।
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लिहाजा, चैनलों द्वारा बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किए जाने के बाद से हिंदुस्तान भर से उलमा के पास फोन आ रहे हैं। बयान में कहा गया है कि टीवी चैनलों ने दारुल उलूम और देवबंद के उलेमा को बदनाम करने की कोशिश की है, जिन्हें सबक सिखाने का काम किया जाएगा। बयान में बताया गया है कि उलेमा की बैठक में निर्णय के बाद वकीलों से दस्तावेज तैयार करा लिए गए हैं। अब ऐसे चैनलों से कोर्ट में ही बात की जाएगी। बैठक में कारी मुस्तफा, मुफ्ती ओसामा, मौलाना नूर, मौलाना मुकीद कासमी, कारी ऐजाज, मौलाना इंतजार कासमी, राव अशफाक, वाजिद त्यागी आदि मौजूद रहे।