दरअसल केंद्र सरकार की ओर से दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों के साथ-साथ रिक्शा चालक, घरेलू कार्य करने वाले, बढ़ाई, रेहड़ी चलाने वाले और ऐसे ही अन्य लोगों के लिए ई श्रम कार्ड E-Shram Card योजना लागू की गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिक से अधिक लोग आवेदन कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि यह कार्ड फ्री बन रहा है। इसी बीच देवबंद दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से एक व्यक्ति ने पूछा है कि, मुस्लिमों को ई श्रम कार्ड बनवाना चाहिए या नहीं ?
इस प्रश्न के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के इफ्ता विभाग ने कहा है कि ई श्रम कार्ड एक तरह की बीमा पॉलिसी ही है। इफ्ता विभाग के मुफ्तियों ने आगे लिखा है कि बीमा पॉलिसी में ब्याज भी शामिल होता है और इसका प्रारूप एक तरह से जुए जैसा होता है। ऐसे में ई श्रम कार्ड में इन दोनों का ही मिश्रण दिखाई पड़ता है। इस्लाम में यो दोनों ही ( ब्याज और जुआ ) नाजायज हैं। ऐसे में इस्लाम में ई-श्रम कार्ड बनवाना भी जायज नहीं।
अब ई श्रम कार्ड पर दिया गया यह फतवा चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे इस फतवे पर लोग अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं। बतादें कि देवबंद दारुल उलूम पहले भी कह चुका है कि किसी भी फतवे को किसी भी व्यक्ति पर थोपा नहीं जाता है। फतवा पूछे गए सवालों का जवाब होता है।