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सहारनपुर

देवबंद के मौलाना ने 9 साल की बच्ची की शादी को बताया सही

यदि लड़का बीवी के खर्च और उसके हकूक पूरे करने की जिम्मेदारी नहीं उठा सकता तो चाहे वह 30 साल का ही क्यों न हो, उसका निकाह जायज नहीं है।

सहारनपुरOct 05, 2017 / 08:33 pm

Iftekhar

Devband

सहारनपुर. मेरठ में माता-पिता की अनुमति के बिना एक नाबालिक जोड़े का निकाह पढ़ाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि देवबंद के एक मौलाना ने 9 साल की बच्ची की शादी को सही बताकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। मुफ्ती तारीक कासमी देवबंदी ने गुरुवार को बताया कि शरीयत के मुताबिक शादी के लिए लड़की की उम्र 9 साल और लड़के के लिए 14 साल काफी है । यानी इस्लाम धर्म में 14 साल के लड़के और 9 साल की लड़की को शादी के लिए बालिग माना गया है। हालांकि, उन्होंने आगे कहा है कि, इस उम्र में लड़का और लड़की शारीरिक रूप से तो शादी के लिए सक्षम हो जाते हैं, लेकिन बौद्धिक रूप से उनका इतना विकास नहीं हो पाता। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि लड़के का बौद्धिक स्तर इतना होना चाहिए कि वह अपनी पत्नी की जिम्मेदारी उठा सके। उन्होंने कहा कि इस्लाम में ये भी बताया गया है कि यदि लड़का बीवी के खर्च और उसके हकूक पूरे करने की जिम्मेदारी नहीं उठा सकता तो चाहे वह 30 साल का ही क्यों न हो, उसका निकाह जायज नहीं है।

मुफ्ती बोले पर्सनल लॉ में भी है इजाजत
मुफ्ती तारीक ने कहा कि इस्लाम धर्म में 9 साल की बच्ची का निकाह करना शरीयत के अनुसार जायज है। यह अधिकार मुस्लिमों को मुस्लिम पर्सनल लॉ भी देता है। इस्लाम धर्म में बालिक की कुछ अलामतें बताई गई हैं। शरीयत के अनुसार लड़की की बालिग होने की उम्र 9 साल और लडके की उम्र 15 साल है। इस लिहाज से अगर हम निकाह करना चाहे तो कर सकते हैं।
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मेरठ में नाबालिग का निकाह पढ़ाने वाले मौलाना गायब
दरअसल, मेरठ शहर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें नाबालिग लड़के और लड़की का एक मौलाना में धार्मिक स्थल में निकाह पढ़ा दिया। इस घटना के बाद दोनों बच्चों के माता-पिता इन की शादी के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी। वहीं, मौलाना इस घटना के बाद से गायब है। पुलिस अब इस मौलाना की तलाश कर रही है। अब मेरठ की इसी घटना के संदर्भ में देवबंदी उलेमा और शरीयत पर प्रकाश डालते हुए मुस्लिम धर्म में 9 साल की उम्र में लड़की और 15 साल के लड़के की शादी को सही बताया।

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