मुफ्ती तारीक ने कहा कि इस्लाम धर्म में 9 साल की बच्ची का निकाह करना शरीयत के अनुसार जायज है। यह अधिकार मुस्लिमों को मुस्लिम पर्सनल लॉ भी देता है। इस्लाम धर्म में बालिक की कुछ अलामतें बताई गई हैं। शरीयत के अनुसार लड़की की बालिग होने की उम्र 9 साल और लडके की उम्र 15 साल है। इस लिहाज से अगर हम निकाह करना चाहे तो कर सकते हैं।
दरअसल, मेरठ शहर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें नाबालिग लड़के और लड़की का एक मौलाना में धार्मिक स्थल में निकाह पढ़ा दिया। इस घटना के बाद दोनों बच्चों के माता-पिता इन की शादी के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी। वहीं, मौलाना इस घटना के बाद से गायब है। पुलिस अब इस मौलाना की तलाश कर रही है। अब मेरठ की इसी घटना के संदर्भ में देवबंदी उलेमा और शरीयत पर प्रकाश डालते हुए मुस्लिम धर्म में 9 साल की उम्र में लड़की और 15 साल के लड़के की शादी को सही बताया।