देवबंदी आलिम ने कहा कि शाही इमाम को सोचना चाहिए कि उन्हें एक साथ होना चाहिये। हमारा संविधान हमें कहता है कि हम अपने हक के लिए लड़े संविधान के दायरे में रहकर लड़े और अपना हक मांगे। आप हमें अपने हक के लिए लडऩे से रोक रहे हैं। जबकि आपको भी दूसरी तंजीमों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लडऩा चाहिए था। रही बात चंदा एकत्र करने की तो कौन सा ऐसा काम कौम का है। जिसके लिए चंदा एकत्र नहीं होता। मस्जिद अल्लाह का घर है इसकी देखरेख करना तमाम मुसलमानों का फर्ज है। किसी एक आदमी की जिम्मेदारी नहीं है। इसलिए इसके लिए खर्च भी तमाम लोगों को करना पड़ेगा। आप मस्जिद के इमाम हैं मस्जिद की संपत्ति है। आगे उन्होंने कहा कि इमाम सैयद जिस तरह से कौम को बिखेरने की कोशिश कर रहे हैं। यह बहुत ही गैर जिम्मेदाराना बात है। इस तरह के बयानों से आपको बचना चाहिए और आपको माफी मांगनी चाहिये।