scriptदेवबंद की प्रसिद्ध मस्जिद से पहली बार जुमे की नमाज के बाद हुआ ये बड़ा ऐलान | Big declaration came from famous mosque of Deoband after Juma prayer | Patrika News
सहारनपुर

देवबंद की प्रसिद्ध मस्जिद से पहली बार जुमे की नमाज के बाद हुआ ये बड़ा ऐलान

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की पहल के बाद अब देवबंद के मदरसों ने की घोषणा

सहारनपुरMar 31, 2018 / 10:23 am

lokesh verma

deoband
सहारनपुर/देवबंद. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की पहल के बाद अब देवबंद के मदरसों के मालिकों ने भी पहल की है। मदरसों में इस तरह के प्रोग्राम किए जाएं, जिससे देश में हिन्दू—मुस्लिम एकता और ज्यादा मजबूत हो। मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद इस तरह के कार्यक्रम का ऐलान करना वाकई काबिलेतारीफ है। बता दें कि दारुल उलूम अशरफिया के मोहतमिम मौलाना कलीम अशरफ कासमी ने जुमे की नमाज के बाद नगर की प्रसिद्ध मस्जिद से ये ऐलान किया कि उनके मदरसे में देश में अमन—शांति के लिए एक कौमी एकता कॉन्फ्रेंस होने जा रही है, जिसमें दारुल उलूम देवबंद के मुफ्ती ए कराम सहित श्री राम दरबार के संस्थापक भी हिस्सा लेंगे। उन्होंने सभी नमाजियों से अपील की कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेकर नगर में कौमी एकता को बढ़ाएं।
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मोलाना ने कहा कि मैं मुल्क वासियों तक ये पैगाम पहुंचाना चाहता हूं कि एक अप्रैल को हमारे दारुल उलूम अशरफिया देवबंद में 45 बच्चों की तकसार बन्दी के अवसर पर मुल्क में हिंदू—मुस्लिम इत्तेहाद को आम करने के लिए एक कॉन्फ्रेंस की जा रही है। इसका मकसद हमारे नबी मैसेंजर ऑफ इस्लाम की तालीम में सब एक ही आदम की औलाद हैं। आप अपने धर्म को मान सकते हो, लेकिन इंसानी सताकत एक—दूसरे से जुडा होने और एक—दूसरे को मैली आंख से देखना ये नबी को गवारा नहीं है। इस वक्त जो फिरकापरस्ती का शिकार हैं। इसके लिए इंसानियत के काम करने की जरूरत है। इसलिए जमीयत इस सिलसिले में काम कर रही है।
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हमने अपने प्रोग्राम में इसकी शुरुआत की है और एक कॉन्फ्रेंस की जा रही है। जिसमें दारुल उलूम देवबंद के मुफ्ती ए आजम मुफ्ती हबीबुर्रहमान साहब कारी आफताब साहब और बड़े-बड़े उलेमा जमा होंगे। साथ ही श्री राम दरबार के श्री मोहन पंडित जी आएंगे जो इंसानियत हमदर्दी के बड़े आमी हैं और इसी तरह बौद्ध मजहब के आचार्य धर्मवीर सिंह भी शिरकत करेंगे। इसका मकसद सिर्फ फिरकापरस्ती की आग हिंदुस्तान से खत्म करना है और हिंदू—मुस्लिम एकता का पैगाम देना है, ताकि हर मजहब के लोग अमन, चैन, सुकून और शांति के साथ जी सकें।

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