राजघाट दिल्ली से सहारनपुर जेल तक पदयात्रा करते हुए अपने आपको मुज्जफरनगर निवासी बताने वाले संभावना संस्थान के हिमांशु कुमार व उनके साथी अजीत बर्मन और कृष्णा चौधरी बुधवार को दिल्ली राजघाट से पदयात्रा करते हुए देवबंद पहुंचे। यहां वे देवबंदी आलिम से भी मिले। इस दौरान उन्होंने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि चंद्रशेखर को जमानत पर रिहा कर देना चाहिए। साथ ही बताया कि वे चंद्रशेखर को रिहा कराने के लिए पदयात्रा करते हुए सहारनपुर जेल तक जाएंगे।
उन्होंने यूपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भीम आर्मी के जिन कार्यकर्ताओं को जेल में बंद करके रखा गया है अदालत ने उनको जमानत पर रिहा करने का हुक्म दिया है, लेकिन सरकार ने अदालत के फैसले को नहीं माना। ये ऐसे हालत हैं कि सरकार ने अपने आपको अदालत से ऊपर घोषित कर दिया है। इन्हाेंने यह भी कहा कि अगर सरकार अदालतों का हुक्म मानने से मना कर देती हैं तो यह एक संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा। नागरिक के अधिकारों की रक्षा अदालत के जरिए होती है। अगर सरकार अदालतों का हुक्म नहीं मानेंगी ताे इसका मतलब यही है कि तानाशाही आ रही है, लेकिन लोग उसे पहचान नहीं पा रहे हैं।
हिमांशु कुमार ने कहा कि हमें बेचैनी है कि लोग इस हालात का विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं। सरकारों ने अदालतों का हुक्म मानना बंद कर दिया है। इसलिए अब हमें लगता है कि अब हम अपने स्तर से विरोध करेंगे। अगर कोई साथ आता है तो ठीक है, वर्ना भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं का हम समर्थन करेंगे। हम उनकी रिहाई की मांग करेंगे और संविधान को बचाने के लिए एक लड़ाई शुरू करेंगे। अगर हम संविधान को बचाने की कोशिश नहीं करेंगे तो हमारी आने वाली नस्लें कहेंगी कि जब तानाशाही आ रही थी तो आप चुप क्यों थे। संविधान को बचाने की लड़ाई सिर्फ दलितों की लड़ाई ही नहीं है। इसमें सबको शामिल होना चाहिए।