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देशभर में कोरोना वायरस फैलने के खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने पूरे देश में लाकडाउन लगा रखा है। लाकडाउन एक के वक्त ही प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की थी कि जो लोग जहां पर हैं, वहीं पर रुक जाएं। उसके बाद लोग जहां थे, वहीं रुक गए। जिस वक्त ये ऐलान किया गया, उस वक्त दारुल उलूम देवबंद में तकरीबन 2000 छात्र हॉस्टल में रहकर पढ़ रहे थे। लिहाजा, इल्म की नगरी देवबंद स्थित विश्व विख्यात शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में देश-विदेश से शिक्षा ग्रहण करने आए ये छात्र वहीं फंस कर रह गए हैं।
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दरअसल, लॉकडाउन से पहले ही दारुल उलूम देवबंद ने प्रशासन की अपील पर अपने संस्थान में छुट्टी घोषित कर दी थी। इसके साथ ही सभी छात्रों को अपने-अपने घरों को जाने को कहा गया था। इस बीच कफी छात्र तो चले गये। मगर कुछ छात्रों को रिजर्वेशन नहीं मिलने की वजह से वे अपने घर नहीं जा सके। इसी बीच लॉकडाउन लागू हो गया तो सभी छात्र संस्थान में ही रुक गए। अब दारुल उलूम देवबंद में लगभग 25 अफगानी छात्र सहित 2000 छात्र रुके हुए हैं। इस संबंध में दारुल उलूम प्रशासन ने पुलिस-प्रशासन से इन छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाने की कई बार अपील कर चुके हैं।
यहां फंसे छात्रों का कहना है कि हमारी सरकार लोगों का हर संभव प्रयास मदद कर उनके घरों तक पहुंचा रही है। मजदूरों के लिए भारत सरकार ने विशेष ट्रेन चलाकर उनको उनके घर तक पहुंचा रही है। वहीं, विदेशों में फंसे लोगों को भी विशेष फ्लाइट से अपने देश लाया जा रहा है। ऐसे में ईद का त्यौहार नजदीक आ रहा है। इसी के चलते हम लोग भी अपने घरों को जाना चाहते हैं। वहीं, इस संबंध में जब दारुल उलूम देवबन्द के जिम्मेदारों से बात की गई तो दारूल उलूम देवबंद के प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने बताया कि दारुल उलूम के छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए प्रशासन से लगातार बातचीत चल रही है। जल्द ही कुछ ना कुछ समाधान हो जाएगा।