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सागर

एमबीबीएस पास छात्रों की मार्कशीट पर लिख दी एक ही जन्म तारीख

-बीएमसी के वर्ष 2014 बैच के 74 एमबीबीएस पास छात्रों का मामला, एमसीआई में रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख आज

सागरMay 29, 2019 / 09:37 pm

आकाश तिवारी

Written on the marksheet of MBBS Pass students, the same date of birth

एमबीबीएस पास छात्रों की मार्कशीट पर लिख दी एक ही जन्म तारीख

सागर. मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी प्रशासन प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। 2014 बैच के अधिकतर एमबीबीएस छात्रों की वेबसाइट पर अपलोड मार्कशीट में डेट ऑफ बर्थ एक ही लिखी गई है। इसका खुलासा तब हुआ जब इन छात्रों ने एमसीआई से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए मार्कशीट का प्रिंटआउट निकाला तो डीओबी देख होश उड़ गए। बीएमसी के ७४ छात्रों की मार्कशीट में एक ही जन्म तारीख लिखी हुई है। यहां सभी छात्रों की जन्म तिथि 23 मई 1995 दर्शाई गई है। जबकि यह संभव ही नहीं है।

आज है रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख

31 मार्च को यूनिवर्सिटी ने रिजल्ट जारी किया था। 30 मई यानी गुरुवार को एमपी एमसीआई में रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख है। सभी की एक ही जन्म तारीख होने के कारण अब इनमें सुधार संभव नहीं है। हालांकि डीन डॉ. जीएस पटेल स्वयं मार्कशीट वेरीफाई करके दे रहे हैं। यदि एमसीआई यह नहीं मानती है तो छात्रों के रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाएंगे। अभी रजिस्ट्रेशन होने पर छात्रों को 2250 रुपए फीस लग रही है। इसके बाद उन्हें 5 हजार रुपए चुकाने होंगे।

नहीं मिली हार्डकॉपी
बीएसमी के छात्रों ने बताया कि अभी उन्हें न तो प्री फाइनल की मार्कशीट मिली है और न ही फाइनल की। वेबसाइट पर फाइनल की मार्कशीट अपलोड की है। छात्रों के अनुसार प्री फाइनल पास हुए एक साल हो चुका है। फाइनल परीक्षा पास हुए दो महीने बीत चुके हैं। दोनों मार्कशीट अभी तक नहीं मिली हैं। छात्रों ने बताया कि उनके पास रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सिर्फ 10वीं, 12 वीं और इंटर्नशिप करने का लेटर है। प्री और फाइनल की मार्कशीट हार्डकॉपी नहीं है। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए इनकी भी जरूरत है। विसंगति होने के कारण यह मान्य होंगे या नहीं यह नहीं पता।

जुगाड़ लगाने में जुटे छात्र

रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एमबीबीएस छात्र पूरी कोशिश कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी द्वारा की गई गड़बड़ी के कारण यहां-वहां से एप्रोच लगाकर रजिस्ट्रेशन कराने को मजबूर हैं। बीएमसी डीन डॉ. पटेल ने अपनी रिस्क पर सभी की डेट ऑफ बर्थ को वेरीफाई कर दिया है, लेकिन कई मेडिकल कॉलेज के डीन एेसा नहीं कर रहे। इस वजह से छात्र यहां-वहां से शपथ पत्र बनवा कर इसे एमपी ऑनलाइन में अपलोड कर रहे हैं।

स्टाइफंड भी नहीं मिल रहा
बीएमसी में दो महीने से इंटर्नशिप कर रहे डॉक्टरों को स्टाइफंड नहीं मिल रहा है। इसकी वजह एमसीआई से रजिस्ट्रेशन न होना है। बता दें कि एमबीबीएस करने के बाद इंटर्नशिप करने वाले डॉक्टरों को हर महीने 10 हजार रुपए का स्टाइफंड मिलता है। मार्कशीट जारी न होने के कारण डॉक्टरों को स्टाइफंड भी नहीं मिल रहा है।

 

मेडिकल यूनिवर्सिटी ने जो ऑनलाइन मार्कशीट जारी की है, उसमें ७४ एमबीबीएस छात्रों की जन्म तारीख एक कर दी है। मैंने खुद जन्म तारीख को वेरीफाई कर अंडरटेकिंग ली है। निर्भर करता है कि एमसीआई इसे किस नजर से देखती है। यदि एमसीआई नहीं मानती है तो इन डॉक्टरों को दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने पर पांच-पांाच हजार रुपए फीस देनी होगी।
डॉ. जीएस पटैल, डीन, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर

 

हमारे यहां से कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। मेडिकल कॉलेज जो डेटा भेजता है उसे वेरीफाई नहीं किया जाता, वही मार्कशीट पर प्रिंट कर दिया जाता है। हालांकि मार्कशीट में इस तरह की गड़बड़ी हो जाती है, जिसे एमसीआई गंभीरता से नहीं लेती। यदि फिर भी गलती हुई है तो उसमें सुधार किया जाएगा।
डॉ. आरएस शर्मा, कुलपति, मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर

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