क्यों है क्षमा करने की जरूरत, पढ़ें गौतम स्वामी की यह लघु कथा
गौतम स्वामी के जीवन काल की एक घटना है। बताते है कि एक बार गौतम स्वामी विहार करते हुए किसी छोटे से गांव में पहुंचे। शाम के समय जब धर्मसभा समाप्त हुई उस समय एक व्यक्ति उत्तेजना में दौड़ता हुआ आया और गौतम स्वामी के शरीर पर थूक कर चला गया। गौतम स्वामी ने सहजता से अपनी चादर को उठाया और समता भाव से पोंछ लिया। यह देखकर सारे शिष्य नाराज हो जाते है। उनके प्रमुख शिष्य ने कहा कि तथागत यह तो हद हो गई। क्षमा का अर्थ यह तो नहीं हम अकारण अपमान बर्दाश्त करें। इस तरह चुप्पी साध लेने से तो अपराधी के अपराधों को प्रोत्साहन मिलता रहेगा। आपको तो उसे उचित दंड देना चाहिए। गौतम स्वामी ने मुस्कराते हुए कहा- उत्तेजित मत बनो, क्षमा को धारण करो। आपने पूर्व जन्म में कभी उस व्यक्ति को दुख दिया होगा या अपमानित किया होगा तो अच्छा अच्छा हुआ कि आज उसका निबटारा हो गया। मैने क्षमा भाव रखकर अपने कर्मों को तोड़ा है और तुम गुस्से मैं कर्मों को बांध रहे हो।
उत्तम क्षमा वाट्स एप्प मैसेज
यह जिंदगी का प्रवास है, कम समय में जीने का प्रयास हैलेने जेसी चीज है, तो प्रेम की मिठास है…
और छोडऩे जैसी चीज है, तो मन की कड़वास है….
उत्तम क्षमा
नर से महावीर बनना हो तो, हर एक को आत्मीयता का व्यवहार दो।
भला हुआ हो चाहे बुरा उसे भुला दीजिए। भीतर के जीवन पुष्प को खिला लीजिए। प्यार से पड़ी हो चाहे खार से पड़ी हो, जो गांठे पड़ी हैं उसे खोल लीजिए।।।
उत्तम क्षमा
क्षमा में जो महत्ता है, जो औदार्य है, वह क्रोध और प्रतिकार में कहां। प्रतिहिंसा हिंसा पर ही आघात कर सकती है, उदारता पर नहीं। उत्तम क्षमा
क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा-क्षमा करने योग्य हो जाता है। उत्तम क्षमा ————————- संसार में मानव के लिए क्षमा एक अलंकार है। उत्तम क्षमा