केंद्र को भेजी जाती है यही जानकारी
नेशलन हेल्थ बुलेटिन केवल प्रदेश सरकार तक ही सीमित नहीं है। इसकी जानकारी केंद्र सरकार को भी देनी पड़ती है। पिछले साल की यह रिपोर्ट केंद्र को भेजी जा चुकी है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक जिम्मेदारों की नजर इस गलती पर नहीं पड़ी है। स्टेट एचएमआईएस की वेबसाइट पर यह भ्रामक जानकारी शो हो रही है।
इस बुलेटिन में अंतरा प्रोग्राम के अलावा फैमिली वेलफेयर, मेटरनल एंड चाइल्ड केयर प्रोग्राम, इनफेंट एंड चाइल्ड इमुनाइजेशन और चाइल्ड एंड अदर प्रोग्राम की जानकारियां भी भेजी जाती हैं। इसमें प्रदेशभर के आंकड़े होते हैं। एेसे में अन्य प्रोग्राम के आंकड़े भी भ्रामक होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
जिलों में सरकारी रिपोर्ट मांगने पर कोई भी कॉलम खाली नहीं जाना चाहिए। शायद इसी तर्ज पर स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी-अधिकारी काम कर रहे हैं। देखा जाए तो रिपोर्ट सही या गलत भरी जा रही है, इसकी मॉनीटरिंग की पूरी जिम्मेदारी बीएमओ की होती है, लेकिन यह काम डाटा एंट्री ऑपरेटरों के भरोसे छोड़ा जा रहा है।