आज की स्त्री किचन से कलम तक की यात्रा में नए आयाम रच रही है
विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में स्त्री लेखन : चुनौतियां एवं भविष्य विषय पर व्याख्यान तथा कथा संवाद आयोजित किया गया।
विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में स्त्री लेखन : चुनौतियां एवं भविष्य विषय पर व्याख्यान तथा कथा संवाद आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में हिंदी कथाकार डॉ. शरद सिंह ने स्त्री की चुनौतियों के बारे में कई बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी स्त्री की किचन से कलम तक की यात्रा चुनौती भरी रहती है। इसी सन्दर्भ में उन्होंने अपनी माता से मिलने वाली प्रेरणाओं का भी उल्लेख किया। स्त्री-लेखन में सामने उपस्थित होने वाली प्रमुख समस्याओं को उद्धृत करते हुए उन्होंने पारिवारिक समस्याओं को बहुत गहरे अर्थ से रेखांकित किया। स्वागत वक्तव्य प्रो. राजेंद्र यादव ने दिया। डॉ. संजय नाइनवाड़ ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया। विशिष्ट अतिथि भाषा अध्ययनशाला की डीन प्रो. चंदा बैन ने बुंदेलखंड के साहित्य के साथ-हिन्दी में राष्ट्रकवि मैथिलिशरण गुप्त द्वारा लिखित साहित्य पर बात की। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी में चल रहे स्त्री लेखन और स्वानुभुति व परानुभूति पर बात रखी। संचालन डॉ. हिमांशु कुमार ने किया। आभार डॉ. अरविन्द कुमार ने दिया। इस मौके पर डॉ. अफरोज बेगम, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय, डॉ. सुजाता मिश्र, प्रदीप सौंर, इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. नागेश दुबे, संस्कृत विभाग से डॉ. शशिकुमार सिंह, डॉ. रामहेत गौतम, डॉ. किरण आर्या, डॉ. बबलू रे एवं डॉ. अरविन्द गौतम आदि मौजूद रहे।
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