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युवती को ट्रेन से धक्का देकर गिराने और लूट करने वाले मुख्य आरोपी को दस वर्ष का कठोर करावास

बहुचर्चित मामले में दो आरोपियों को पहले हो चुकी है सजा, मुख्य आरोपी था फरार

सागरJan 24, 2025 / 12:26 pm

sachendra tiwari

Ten years rigorous imprisonment to the main accused who pushed the girl from the train and robbed her

फाइल फोटो

बीना. चलती ट्रेन में लूट कर युवती को धक्का देकर नीचे गिराने वाले मामले के मुख्य आरोपी को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार कुंडू ने दस वर्ष के सश्रम कठोर करावास की सजा और बीस हजार रुपए अर्थदंड लगाया है। अर्थदंड की राशि फरियादी को देने के आदेश दिए।
विशेष लोक अभियोजक श्यामसुन्दर गुप्ता ने बताया कि 19 नवंबर 2014 की सुबह मालवा एक्सप्रेस के स्लीपर कोच एस 7, बर्थ नंबर 7 पर नई दिल्ली से उज्जैन के लिए यात्रा कर रही फरियादी रति त्रपाठी करौंदा स्टेशन के पास घायल अवस्था में मिली थी। जिसके साथ लूट की घटना हुई थी। निरीक्षक ओडी मिश्रा की विवेचना में सामने आया था कि रति के पर्स से दो मोबाइल, नकदी बारह हजार रुपए, सोने की अंगूठी, चैन अरोपियों ने लूट लिए थे। पुलिस ने मामले में आरोपी चंदन सिंह पिता खेतसिंह लोधी (65) निवासी विरौरा ललितपुर, जाहर सिंह, भजू उर्फ ओंकार, देवसींग और गुलाब पाल को पकड़ा था। पूछताछ में उन्होंने बताया था कि करौंदा स्टेशन के पास ट्रेन धीमी होते ही चंदन ने बर्थ पर सो रही युवती का पर्स खींचा तभी वह जाग गई थी और चिल्लाने पर आरोपी की हाथापाई हुई। इसी दौरान चंदन ने उसे ट्रेन से धक्का दे दिया, जिससे गेट से नीचे गई थी और आरोपी भाग निकले थे। अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। आरोपी चंदन सिंह निर्णय के पूर्व ही फरार हो गया था, जबकि ओंकार और जाहर सिंह को 17 नवंबर 2022 को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। मुख्य आरोपी चंदन को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया और विशेष लोक अभियोजक ने आरोपी का घटना का मास्टर माइंड बताते हुए आवश्यक तर्क प्रस्तुत किए, जिनसे सहमत होकर 22 जनवरी को न्यायालय ने सजा सुनाई।
दो माह कोमा में रही घायल
न्यायालय ने आदेश में उल्लेख किया गया है कि फरियादी रति दिल्ली में नौकरी करती थी। आरोपियों ने उसके साथ लूट कर चलती ट्रेन से धक्का दिया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हुई और दो माह तक कोमा में रही, वर्तमान में हाथ, पैर सही काम नहीं करते हैं। जिसपर न्यायालय का विधिक दायित्व बनता है कि ऐसे कृत्य करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध कठोर रूख अपनाया जाए, ताकि समाज मे सुखद संदेश दिया जा सके ।

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