डॉ. हरिसिंह गौर विवि के संस्कृत विभाग में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार
सागर•Mar 18, 2018 / 04:39 pm•
manish Dubesy
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सागर. संस्कृत देव भाषा ही नहीं बल्कि वह दिव्य शक्ति है, जो मनुष्य को परिमार्जित करती है। संस्कृत हम सभी के भीतर है, जिसे प्रयास पूर्वक बाहर निकालना होता है। दिव्य जीवन के लिए संस्कृत अपरिहार्य है। यह बात इंग्लैंड की विदुषी लूसी जेस्ट ने कही। वह डॉ. हरिसिंह गौर विवि के संस्कृत विभाग में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन विद्ववत सत्र की अध्यक्षता करते हुए बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि संस्कृत से मनुष्य का परिमार्जन होता ही है। थाइलैंड के डॉ. सोमवत ने वहां की बुद्धिष्ट संस्कृति एवं कला के अतीत और वर्तमान पर कहा कि संस्कृत के अध्यन, अध्यापन और लेखन की सुधीर्घ परंपरा है। संस्कृत साहित्य की अनेक धाराएं आज भी थायलैंड में जीवंत है, जो लोगों के हित को सर्वोपरि मानती हैं।
प्रो. पीसी मुरलीमाधवन ने केरल में संस्कृत एवं साहित्य के विकास पर प्रकाश पर डाला। उन्होंने कहा कि केरल के विकास में संस्कृत का विशेष योगदान है।
सागर. देश का पहला संस्कृत रॉक बैंड ध्रुवा ने डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि में शनिवार को अपनी प्रस्तुति दी। गौर समाधि स्थल पर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस दौरान बड़ी संख्या में विवि के छात्र व स्टाफ मौजूद थे। हर प्रस्तुति पर श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया। ध्रुवा ने पश्चिमी संगीत के साथ मंत्रों और श्लोकों को कुछ इस तरह ढाला कि इनकी धुनों पर छात्र झूमने से नहीं रोक पाए। दो घंटे तक बैंड ध्रुवा ने अपनी प्रस्तुति दी। ऋग्वेद के मंत्रों से शुरुआत हुई। इसके बाद शिव ताडंव स्त्रोत, भज गोविंदम आदि भजनों, डांसिंग गणेशा, वंदेमातरम, कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम के प्रेम गीतों आदि की प्रस्तुति दी। मुख्य गायक व बैंड संस्थापक डॉ. संजय द्विवेदी, सह गायिका ज्ञानेश्वरी, सह गायक वैभव संतोरे, स्वनिल बावुल, तुषार भरत आदि कलाकार उपस्थित थे।
कथा का समापन
सागर. देव रसिक बिहारी मंदिर बड़ा बाजार में चल रही भागवत कथा के सातवें दिन शनिवार को कथा व्यास पं. वरुण शास्त्री ने सुदामा चरित्र का प्रसंग सुनाया। इसी के साथ कथा का समापन हुआ। इस मौके पर प्रदीप, राजेश गुप्ता, बृजकिशोर साहू, विनिता, दीपिका, दिव्या गुप्ता मौजूद थे।
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