scriptइस नगर निगम का तो भगवान ही मालिक है, पार्षदों के जवाब जानकर रह जाएंगे हैरान | sagar municipal corporation latest news | Patrika News
सागर

इस नगर निगम का तो भगवान ही मालिक है, पार्षदों के जवाब जानकर रह जाएंगे हैरान

पत्रिका ने 10 पार्षदों से किए तीन सवाल, चार ही दे पाए सही जवाब

सागरApr 30, 2018 / 01:15 pm

नितिन सदाफल

sagar municipal corporation latest news

sagar municipal corporation latest news

अभिलाष तिवारी. सागर. नगर निगम में क्या चल रहा है? इस बात को लेकर ज्यादातर पार्षद बिलकुल भी अपडेट नहीं हैं। पत्रिका ने शहर के 10 पार्षदों से बीते दिनों आयोजित हुई बजट बैठक को लेकर तीन-तीन सवाल किए, जिसमें से 4 पार्षद ही एेसे निकले जो सभी सवालों के जवाब सही तरीके से दे पाए। शेष 6 पार्षदों में से दो पार्षदों ने सभी तीनों प्रश्नों के जवाब गलत दिए। महिला पार्षदों की जगह उनके पति ने फोन उठाए और कामकाज खुद देखने की बात कहकर प्रश्नों के जवाब भी दिए लेकिन वह भी गलत निकले।

बैठकों में 48 में से 12 पार्षद ही रहते हैं ज्यादा सक्रिय

इस परिषद के कार्यकाल में 48 पार्षदों में लगभग 12 पार्षद ही एेसे हैं जो शहर से जुड़ी समस्याओं या अपने वार्ड की समस्याओं को परिषद की बैठकों में गंभीरता से उठा पाए हैं। शेष 36 पार्षद एेसे हैं जो सिर्फ मेजों को थपथपाने का काम ही करते हैं। परिषद में अपने वार्ड की समस्या बताने के लिए दूसरे साथी पार्षदों की मदद लेनी पड़ती है।

ये पूछे तीन सवाल
इस बार का बजट घाटे का था या लाभ का?
घाटे या लाभ का बजट?
संपत्ति कर को लेकर परिषद ने इस बार क्या निर्णय लिया?

ये मिले जवाब
अजय परमार- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
नरेश यादव- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
याकृति जडि़या- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
संध्या सिंघई- घाटे का। 44 लाख 5 हजार। पुन: निर्धारण।
चेतराम- घाटे का। ध्यान नहीं। फिर से फॉर्म भरवा रहे हैं।
आराधना- घाटे का। देखना पड़ेगा। कोई निर्णय नहीं।
जिनेश साहू- घाटे का। बैठक में नहीं था। बैठक में नहीं था।
नरेश भैया- कल बता देता हूं। नहीं पता। पूछकर बताऊंगा
जयकुमार- घाटे का। ध्यान नहीं। पुन: निर्धारण।
नीतू खटीक- लाभ का। राशि ध्यान नहीं। पुराना निर्णय
(नोट- आराधना नेमा के पति अतुल नेमा एवं नीतू खटीक के पति धर्मेंद्र खटीक ने जैसा बताया।)

इन वार्डों के पार्षदों से किए प्रश्न
रविदास वार्ड, भगतसिंह वार्ड, संतकबीर वार्ड, चकराघाट, कटरा, विवेकानंद, बल्लभनगर, सिविल लाइन, महर्षि दयानंद और मोतीनगर वार्ड के पार्षदों से प्रश्न किए गए।

पत्रिका व्यू : इसलिए जरूरी है चेंजमेकर
लोगों की समस्याओं, परेशानियों को परिषद जैसे मंच पर उठा नहीं सकते, निगम कार्यालय में क्या चल रहा है, इसकी जानकारी नहीं तो फिर एेसे पार्षदों को चुनने से जनता को कितना फायदा होगा, इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। परिषद की बैठकों में परफॉर्मेंस के मुताबिक 25 प्रतिशत पार्षद ही सक्रिय हैं, जिसका सीधा सा अर्थ है कि 75 प्रतिशत शहर से लोगों की समस्याएं पार्षद के जरिए ऊपर तक पहुंच ही नहीं पाती हैं। कुछ पार्षदों के दामन पर भी दाग है। एेसे में जरूरी होगा कि अब शहर की जनता खुद अपना चेंजमेकर चुने और उसको सपोर्ट करने के लिए खुद बालेंटियर बनें, तभी हर वार्ड और शहर में बदलाव दिख पाएगा।

Hindi News / Sagar / इस नगर निगम का तो भगवान ही मालिक है, पार्षदों के जवाब जानकर रह जाएंगे हैरान

ट्रेंडिंग वीडियो