रोज की तरह शुक्रवार को साबरमती एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर पांच पर आकर रुकी। पानी भरने के लिए बड़ी संख्या में यात्री ट्रेन से बाहर आए और वाटर स्टैंड पर लगे नलों के पास पहुंच गए, लेकिन नलों में प्रेशर से पानी नहीं आ रहा था। कुछ यात्री पानी भर रहे थे, तो कुछ नंबर आने का इंतजार कर रहे थे। प्रेशर कम होने के कारण एक लीटर की बोतल भरने में भी यात्रियों को दो मिनट से ज्यादा का समय लग रहा था। पानी के लिए प्लेटफॉर्म पर उतरे सभी यात्री पानी भर पाते तब तक ट्रेन चल पड़ी। इसके चलते कई यात्री पानी लिए बिना ही ट्रेन में बैठ गए। हैरानी की बात तो यह है कि इसी प्लेटफॉर्म पर कई वाटर स्टैंड से पानी इतने कम प्रेशर से आ रहा है कि ट्रेन के चलने का समय होने तक भी पानी की बोतल नहीं भर पाती है।
कई दिनों से यही स्थिति
रेलवे स्टेशन पर स्टॉल पर काम करने वाले वेंडर ने बताया कि कई दिनों से पानी सप्लाई की यही स्थित है। कई बार नलों में बूंद-बूंद पानी आता है, जिससे यात्रियों को पानी भरने में परेशानी होती है। जरुरत के अनुसार नलों से पानी न मिलने पर यात्रियों को मजबूरी में स्टाल से पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है। इसके बाद भी नलों में प्रेशर से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ पड़ता रहा है।
नहीं खोले जा रहे प्याऊ
कई रेलवे स्टेशनों पर समाजसेवी प्याऊ खोल देते हैं जिससे यात्रियों को सुलभ तरीके से ठंडा पानी उपलब्ध हो जाता है। लेकिन जंक्शन पर लंबे समय से समाजसेवियों ने प्याऊ नहीं खोले हैं। जबकि शहर में 25 से ज्यादा समाज सेवी संगठन काम करते हैं।