फैक्ट फाइल
1100 से अधिक मेडिकल स्टोर्स जिले में। 500 मेडिकल सिर्फ शहर में। 25-30 हजार लोग प्रतिदिन अस्पताल-मेडिकल पर पहुंचते हैं। 65-70 निजी हॉस्पिटल नर्सिंग होम 309 रजिस्टर्ड क्लीनिक 9 सामुदायिक स्वास्थ्य 2 सिविल 29 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 1 जिला अस्पताल। 1 मेडिकल कॉलेज।
शुगर जैसी जांचों को लेकर आई सजगता-
सर्दी-बुखार होने पर लोग सिर्फ डॉक्टर्स को ही नहीं दिखा रहे बल्कि अब लोग ब्लड टेस्ट भी करा रहे हैं। ब्लड की 18 प्रकार की जांचों के अलावा सबसे ज्यादा जांच शुगर की हो रही है। शुगर न बढ़े इसके लिए दवाएं खप रहीं हैं। सिर्फ मेडिकल कॉलेज में ही 3-4 हजार जांचें रोज हो जाती हैं। इसके अलावा बीएमसी परिसर के आसपास की पैथालॉजी में मरीजों के ब्लड सैंपल के ढेर बने रहते हैं। जांच में पाई गई बीमारी को दूर करने लोग दवाएं खा रहे हैं।
पेट की समस्याएं बढ़ी तो दवाएं भी बिक रहीं-
शहर में अब नया चलन शुरू हुआ है, जिसमें अवकाश के दिनों में सक्षम लोग परिवार सहित तला-भुना और चटपटा खाने होटल जाते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन फूड भी मंगाते हैं। युवाओं को मानों शाम को बाहर का खाने की लत लग गई है। ऑयली, मसालेदार खाना पेट संबंधी विकार पैदा कर रहा है। अपच और अन्य समस्याएं बढ़ गईं है, जिससे इनकी दवाएं भी बिक रहीं हैं। पेट साफ करने वाली इसबगोल की भूसी नाम की दवा का 100 ग्राम का पैकेट अब 120 रुपए से अधिक का बिक रहा है।
परिवार नियोजन की सामग्री की मांग बढ़ी-
मेडिकल पर सामान्य दवाओं के अलावा परिवार नियोजन की सामग्री की बिक्री भी बढ़ी है। दवा, उपकरण, प्रेगनेंसी टेस्ट किट जैसी सामग्री भी खूब बिक रही है। बाजार में विभिन्न कंपनियों के आकर्षक विज्ञापन प्रेगनेंसी के तमाम पहलुओं को समझाते हुए मार्केटिंग करते हैं और लोग अपनी-अपनी समस्या के लिए इन सामग्री की खरीदी कर रहे हैं। -कोरोना के बाद लोग स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग हुए हैं। अब लोग सर्दी, खांसी और सामान्य बुखार आने पर डॉक्टर्स के पास पहुंचते हैं। इससे दवाओं की खपत भी बढ़ी है।
अशोक जैन, जिलाध्यक्ष औषधि विक्रेता संघ।
-जिले में रोज करीब 50 लाख रुपए से अधिक की दवाएं अलग-अलग कंपनियों की खपत हो जाती हैं। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, सर्दी-जुकाम और एंटीबायोटिक दवाएं ज्यादा होती हैं।
अनादी रावत, जिलाध्यक्ष एमआर यूनियन।