पूजा करके खोल जाएगा व्रत पं. रघु शास्त्री ने बताया कि सपरिवार कथा सुनकर व महालक्ष्मी का पूजन करके व्रत खोला जाता है। यह पूजा मां लक्ष्मी के गज लक्ष्मी रूप में की जाती है। मिट्टी का हाथी भी पूजा में रखा जाता है। कलश की स्थापना कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी जी की मूर्ति रखी जाती है। इस पूजा में कमलगट्टे की माला भी रखी जाती है। इस पूजा में प्रसाद के तौर पर माता के लिए खीर बनाई जाती है। इसके अलावा 16 दिन के लिए 16 पूरी भी बनाकर प्रसाद के तौर पर अर्पित की जाती हैं। यही नहीं इस दिन पूजा के बाद 16 दीपक भी जलाए जाते हैं। इस दिन व्रत रखा जाता है और अगले दिन व्रत खोला जाता है। एक तरह से 16 दिन तक चले आ रहे व्रत का यह उद्यापन है।
चकराघाट पर हो रहा तर्पण पितृपक्ष में तिथि के अनुसार चकराघाट पर तर्पण कराया जा रहा है। बड़ी संख्या में यहां लोग सुबह से तर्पण के लिए पहुंच रहे हैं। पूर्वजों के मोक्ष प्राप्ति लिए विधि-विधान से तर्पण हो रहा है। इसके साथ घरों में भागवत कथा और शिवपुराण का आयोजन किया जा रहा है।